पीएलआई योजना से दुर्लभ बीमारियों के इलाज की लागत में आई कमी : केंद्र

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पीएलआई योजना से दुर्लभ बीमारियों के इलाज की लागत में आई कमी : केंद्र

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IANS
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PLI scheme has significantly brought down cost of rare disease treatment: Govt

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दवा कंपनियों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत दुर्लभ रोगों को एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है, जिससे उपचार की लागत में कमी दर्ज की गई है।

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औषधि विभाग के सचिव अमित अग्रवाल के अनुसार, पीएलआई योजना के तहत दुर्लभ रोगों के लिए आठ दवाओं को समर्थन दिया गया है, जिनमें गौचर रोग के लिए एलिग्लस्टैट भी शामिल है, जिसके उपचार की लागत सालाना 1.8-3.6 करोड़ रुपए से घटकर 3-6 लाख रुपए हो गई है।

अन्य समर्थित उपचारों में विल्सन रोग के लिए ट्राइएंटाइन, टायरोसिनेमिया टाइप 1 के लिए निटिसिनोन और लेनोक्स-गैस्टॉट सिंड्रोम के लिए कैनाबिडियोल आदि शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि उपचार लागत में इस तरह की ठोस कमी लक्षित नीतिगत हस्तक्षेपों की परिवर्तनकारी क्षमता को दर्शाती है।

अग्रवाल ने फिक्की सभागार में आयोजित दुर्लभ रोग सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र में एक विशेष भाषण दिया।

उन्होंने आयोजकों की इस बढ़ते महत्व के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सराहना की, जिस पर ऐतिहासिक रूप से पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुर्लभ बीमारियां व्यक्तिगत रूप से दुर्लभ प्रतीत हो सकती हैं, लेकिन सामूहिक रूप से ये लगभग हर बीस में से एक व्यक्ति लगभग 5 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित करती हैं, जिससे ये एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन जाती हैं।

अग्रवाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि दुर्लभ रोगों की चुनौती को मानवीय दृष्टिकोण से और समावेशिता के प्रश्न के रूप में देखा जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिव्यांगजन के समावेशी दृष्टिकोण का हवाला देते हुए, अग्रवाल ने सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज से रोगियों और देखभाल करने वालों के सामने आने वाले बहुआयामी बोझ को दूर करने के लिए प्रतिक्रिया का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन का उल्लेख करते हुए, उन्होंने याद दिलाया, हमें दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या अनुसंधान और विकास में निवेश करना समय की मांग नहीं है? क्या हमें मानवता के कल्याण के लिए सर्वोत्तम और सबसे सस्ती दवाइयां उपलब्ध नहीं करवानी चाहिए?

अग्रवाल ने कॉर्पोरेट जगत को अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहलों और रोगी सहायता कार्यक्रमों में दुर्लभ रोगों से ग्रस्त रोगियों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने सभी हितधारकों से अपनी नीतियों, विनियमों, फंडिंग मॉडलों और कार्यक्रम डिजाइनों का मूल्यांकन समावेशिता के दृष्टिकोण से करने का आग्रह किया। उन्होंने दुर्लभ रोग समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष मार्ग या नियामक छूट तलाशने का सुझाव दिया।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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