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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
इस्लामाबाद, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। भूखमरी और कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। ये संकट किसी और ने नहीं, बल्कि उसके अपने ही नागरिकों ने दिया है। पाकिस्तान में लोगों ने महंगी ग्रिड बिजली से बचने के लिए छतों पर सोलर पैनल लगाना शुरू कर दिया है, जिसके बाद देश का बिजली क्षेत्र गहरे वित्तीय संकट में घिर गया है। बिजली बिक्री में गिरावट के चलते पहले से कर्ज़ में डूबी सरकार के सामने ऊर्जा क्षेत्र का ऋण चुकाना मुश्किल हो गया है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार पावर प्लांट्स से बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं को बेचती है और इसी राजस्व से चीन जैसे ऋणदाताओं को भुगतान करती है। लेकिन यह व्यवस्था लंबे समय से घाटे में चल रही है और अब उपभोक्ताओं द्वारा खुद सौर ऊर्जा उत्पादन करने के कारण सरकारी ग्रिड से बिजली की खपत में कमी आने लगी है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी पाकिस्तान सरकार से ऊर्जा क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए उपभोक्ताओं को ग्रिड से जोड़े रखने पर जोर दिया है।
सरकार अब इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कुछ सख्त और अलोकप्रिय कदम उठा रही है। सोलर पैनलों पर आयात शुल्क लगाया गया है, जो पहले नहीं था और इसी कारण इनका प्रसार तेजी से हुआ। शुरुआती प्रस्ताव में 18 प्रतिशत टैक्स शामिल था, जिसे जनता के विरोध के बाद लगभग आधा कर दिया गया।
इस बीच, चीन से पैनल और बैटरी के आयात में तेजी आई है। पाकिस्तान ने इस वर्ष 1.5 अरब डॉलर के सोलर पैनल आयात किए, जिससे वह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सोलर पैनल आयातक बन गया। ब्लूमबर्ग एनईएफ के अनुसार, देश में बिना सरकारी सहायता के 25 गीगावॉट सौर क्षमता स्थापित की गई है, जबकि राष्ट्रीय ग्रिड की कुल क्षमता 50 गीगावॉट के आसपास है।
सरकार अब कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का अधिक उपयोग करने या उन्हें बंद कर अन्य उपयोगों में लाने की योजना बना रही है। इसी महीने पाकिस्तान ने ऊर्जा क्षेत्र के 1.2 ट्रिलियन रुपये (4.2 अरब डॉलर) के कर्ज़ के पुनर्गठन के लिए 18 बैंकों से नए ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्रधानमंत्री की ऊर्जा क्षेत्र टास्कफोर्स के सदस्य और निजीकरण मंत्री मुहम्मद अली ने कहा, “जब तक हम अपनी सौर नीति में बदलाव नहीं करते, ग्रिड से उपभोक्ताओं का हटना जारी रहेगा। यह पहले से ही अधिक आपूर्ति से जूझ रहे ऊर्जा तंत्र पर और दबाव डालेगा। सरकार को नई मांग पैदा करने में मदद करनी होगी।”
इस बीच, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना, जिसे इस्लामाबाद ने एक “गेम-चेंजर” बताया था, अब देश के लिए भारी बोझ बनती जा रही है। यह पहल न केवल अपने आर्थिक लक्ष्यों को पाने में विफल रही है, बल्कि पाकिस्तान को 9.5 अरब डॉलर के कर्ज़जाल में भी फंसा दिया है।
वर्तमान में पाकिस्तान पर बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए 7.5 अरब डॉलर से अधिक का बकाया है, जबकि चीनी ऊर्जा उत्पादकों को करीब 2 अरब डॉलर की “सर्कुलर डेब्ट” (अनुपलब्ध भुगतान) बाकी है।
--आईएएनएस
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