पाकिस्तानी सेना ने बलूच कार्यकर्ता के घर मारा छापा, परिवार के सदस्यों को धमकाया

पाकिस्तानी सेना ने बलूच कार्यकर्ता के घर मारा छापा, परिवार के सदस्यों को धमकाया

पाकिस्तानी सेना ने बलूच कार्यकर्ता के घर मारा छापा, परिवार के सदस्यों को धमकाया

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IANS
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Pakistani forces raid Baloch activist's home, threaten family members

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

क्वेटा, 17 जुलाई (आईएएनएस)। मानवाधिकार संस्था, बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) की सदस्य, सम्मी दीन बलूच के अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने एक बलूच कार्यकर्ता के घर पर बिना किसी कानूनी आधार के अवैध छापेमारी की।

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सम्मी ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी बुधवार शाम बलूचिस्तान में बीवाईसी कार्यकर्ता साहिबा बलूच के घर में जबरन घुस गए।

एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा, पाकिस्तानी सैन्य बलों ने एक बार फिर न्याय की बजाय धमकी को चुना है।

साहिबा के पिता तीन महीने से गायब हैं। आरोप है कि पाकिस्तानी सेना ने ही उन्हें अगवा किया है।

बुधवार को एक्स पर साहिबा ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा, आज शाम लगभग 7:00 बजे, पाकिस्तान की संघीय पुलिस बल के जवानों ने बिना किसी पूर्व सूचना या कानूनी औचित्य के गांव में हमारे घर पर छापा मारा। मेरे पिता को तीन महीने पहले ही गायब कर दिया गया। उनका एकमात्र अपराध पिता होना है, और मेरा अपराध मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाना है। छापे के दौरान, मेरे परिवार के सदस्यों को परेशान किया गया और धमकाया गया।

साहिबा ने इसे सामूहिक दंड के एक सोचे-समझे तरीके का हिस्सा बताया; उन्होंने कहा कि उद्देश्य उन लोगों में डर और चुप्पी पैदा करना है जो अपनी आवाज उठाने की हिम्मत करते हैं।

पोस्ट में कहा गया, आज, जब हम शांतिपूर्ण प्रतिरोध का रास्ता चुन रहे हैं, तो हमें जबरन गायब कर दिया जा रहा है, बदनाम किया जा रहा है और धमकाया जा रहा है। एक-एक करके, हमारी आवाजें दबाई जा रही हैं, और हमें आतंकवादी करार देकर मिटाया जा रहा है।

पोस्ट में आगे कहा गया, बलूचिस्तान में हर बच्चे का पालन-पोषण इस उम्मीद के साथ होता है कि एक दिन, वे अपनी जमीन पर शांति देखेंगे। इस संघर्ष को चुराना उस उम्मीद को चुराना है, और ऐसा हम कभी नहीं होने देंगे।

साहिबा ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे अपनी आवाज उठाएं और हिंसा को रोकने में मदद के लिए अपने मंचों का इस्तेमाल करें।

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपने पिता और सहयोगियों की तत्काल रिहाई की मांग करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि पाकिस्तान अपने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों का पालन करे।

बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार विभाग ने पाकिस्तानी राज्य की मार डालो और फेंक दो नीति का जिक्र करते हुए पांक नाम के बलूच के खिलाफ हिंसा की एक और घटना का उल्लेख किया।

बताया कि 13 जुलाई की रात को, बेज्जर बलूच के बेटे गुलाम जान को बलूचिस्तान के अवारन जिले में उनके घर से अगवा किया गया। अंदेशा जताया गया कि ऐसा पाकिस्तानी सेना की शय पर किया गया।

इसमें आगे कहा गया है कि कुछ घंटों बाद, गुलाम का गोलियों से छलनी शव प्रांत के कुली इलाके में मिला था। इसे इलाके में की गई पांचवीं हत्या बताया।

पांक ने इस क्रूर कृत्य की कड़ी निंदा की और बलूचिस्तान में चल रहे युद्ध अपराधों और सुनियोजित तरीके से रची गई हिंसा के लिए पाकिस्तानी सेना और उसके छद्म मौत दस्तों को जिम्मेदार ठहराया।

बलूचिस्तान के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार प्रांत में पाकिस्तानी सेना की ओर से किए जा रहे दमन को उजागर किया है, जिसमें बलूच नेताओं और नागरिकों के घरों पर हिंसक छापे, गैरकानूनी गिरफ्तारियां, जबरन गायब करना, मार डालो और फेंक दो की नीति, लोक व्यवस्था बनाए रखने के अध्यादेश के तहत नजरबंदी और मनगढ़ंत पुलिस मामले दर्ज करना शामिल है।

--आईएएनएस

वीकेयू/केआर

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