पाकिस्तान: 7 साल के बच्चे पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का केस दर्ज, मानवाधिकार संगठन ने की निंदा

पाकिस्तान: 7 साल के बच्चे पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का केस दर्ज, मानवाधिकार संगठन ने की निंदा

पाकिस्तान: 7 साल के बच्चे पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का केस दर्ज, मानवाधिकार संगठन ने की निंदा

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IANS
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Pakistan rights body condemns terror charges against 7-year-old boy in Balochistan

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

इस्लामाबाद, 2 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने बलूचिस्तान में सात साल के बच्चे पर आतंकवाद का केस दर्ज किए जाने की निंदा की है। उसने इस कदम को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन और देश में आतंकवाद विरोधी कानूनों का दुरुपयोग बताया है।

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एचआरसीपी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, बलूचिस्तान के तुर्बत में एक 7 साल के नाबालिग बच्चे पर आतंकवाद की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करना बेहद निंदनीय और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। यह कदम न केवल कानून की भावना के विपरीत है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा से संबंधित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का भी घोर उल्लंघन है।

बयान में आगे कहा गया, यह घटना तब हुई जब एक मासूम बच्चे ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलजार दोस्त का एक भाषण शामिल था। महज एक वीडियो शेयर करने को आतंकवाद करार देना, राज्य की शक्ति के असंतुलित इस्तेमाल का एक उदाहरण है।

मानवाधिकार संस्था ने इस एफआईआर को तत्काल रद्द करने, बच्चे और उसके परिवार को उत्पीड़न से बचाने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बाल अधिकारों पर प्रशिक्षण देने की मांग की। इसके साथ ही बच्चों से जुड़े मामलों में बाल संरक्षण कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा।

एचआरसीपी ने बलूचिस्तान सरकार, मानवाधिकार मंत्रालय, पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश और पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग से तत्काल संज्ञान लेने की अपील की।

बुधवार को एचआरसीपी ने देश के एंटी-टेररिज्म कोर्ट (एटीसी) में पिछले एक साल से आतंकवाद-रोधी कानूनों के तहत चल रहे नाबालिग बच्चों के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर गहरी चिंता व्यक्त की।

मानवाधिकार संस्था ने बच्चों की सूची जारी करते हुए अपील की है कि नाबालिग आरोपियों पर एंटी-टेररिज्म कोर्ट में चल रही सुनवाई को तुरंत रोका जाए और मामला जुवेनाइल कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए।

एचआरसीपी ने कहा, यह बेहद चिंताजनक और समझ से परे है कि स्पष्ट रूप से नाबालिग होने के प्रमाण के बावजूद इन बच्चों पर आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। ऐसी न्यायिक कार्यवाही न केवल पाकिस्तान के किशोर न्याय प्रणाली अधिनियम, 2018 का उल्लंघन करती है, बल्कि बच्चों को मिले मौलिक मानवाधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा का भी घोर हनन करती है।

--आईएएनएस

आरएसजी/केआर

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
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