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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गुरुवार को जारी सालाना वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक स्तर पर मलेरिया से करीब 28.2 करोड़ लोग संक्रमित हुए और 6 लाख10 हजार लोगों की जान चली गई। इसमें ड्रग रेजिस्टेंस को एक बड़े खतरे के रूप में उजागर किया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की बताई गई वैक्सीन से 2024 में लगभग 17 करोड़ लोगों का बचाव हुआ और दस लाख लोगों की जान बची, लेकिन यह आंकड़ा 2023 से लगभग 90 लाख ज्यादा था।
अनुमान है कि इनमें से 95 फीसदी मौतें अफ्रीकी इलाके में हुईं, जिनमें से ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल थे।
साउथ-ईस्ट एशिया इलाके में हुए कुल मामलों में से 73.3 प्रतिशत भारत में थे। मलेरिया से मौत का यहां आंकड़ा 88.7 फीसदी था।
रिपोर्ट से पता चला कि मलेरिया से होने वाली मौतों को कम करने में कुछ खास सफलता नहीं मिली है। 2016-2030 की ग्लोबल टेक्निकल स्ट्रैटेजी के केंद्र में मलेरिया रहा है।
इसमें बताया गया कि अफ्रीका के करीब 8 देशों में एंटीमलेरियल ड्रग रेजिस्टेंस की पुष्टि हो चुकी है या शक है, और आर्टेमिसिनिन के साथ मिलाकर दी जाने वाली दवाओं के असर में कमी के भी संभावित संकेत मिले हैं।
मलेरिया खत्म करने की कोशिशों का दूसरा खतरा पीएफएचआरपी2 जीन डिलीशन के साथ मलेरिया परजीवी की मौजूदगी है, जिससे तीव्र नैदानिक ​​परीक्षण की विश्वसनीयता कम हो रही है, जबकि 48 देशों में पाइरेथ्रॉइड रेजिस्टेंस की वजह से कीटनाशक मच्छरदानियों का असर कम हो रहा है।
साथ ही, एनोफेलीज स्टेफेंसी मच्छर—जो आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले कई कीटनाशकों से रेजिस्टेंट हैं—अब 9 अफ्रीकी देशों में घुस आए हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है।
मलेरिया को खत्म करने के प्रयास काफी हद तक सफल भी रहे हैं। आज तक, कुल 47 देशों और एक इलाके को डब्ल्यूएचओ ने मलेरिया-मुक्त घोषित किया था। काबो वर्डे और मिस्र को 2024 में आधिकारिक तौर पर मलेरिया-फ्री सर्टिफाइड किया गया था। वहीं इस सूची में जॉर्जिया, सूरीनाम और तिमोर-लेस्ते 2025 में शामिल हो गए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि डब्ल्यूएचओ ने 2021 में दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन को मंजूरी दी थी, और 24 देशों ने इन वैक्सीन को अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा बनाया।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, मलेरिया की रोकथाम के नए तरीके हमें नई उम्मीद दे रहे हैं, लेकिन हम अभी भी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
घेब्रेयसस ने आगे कहा, मामलों और मौतों की बढ़ती संख्या, दवा के असर का बढ़ता खतरा, और फंडिंग में कटौती का असर, ये सभी पिछले दो दशकों में हमने जो तरक्की की है, उसे पीछे धकेलने का काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट में दूसरे खतरों का भी जिक्र किया गया है, जैसे कि खराब मौसम की घटनाएं—तापमान और बारिश में बदलाव—जो मलेरिया के बढ़ते मामलों में योगदान दे रही हैं; लड़ाई और अस्थिरता से देखभाल तक पहुंच सीमित हो रही है।
पिछले एक दशक में ग्लोबल फंडिंग में ठहराव आने से यह चुनौती और बढ़ गई है, जिससे जान बचाने वाले उपायों की पहुंच सीमित हो गई है।
डब्ल्यूएचओ चीफ ने कहा, हालांकि, कोई भी चुनौती ऐसी नहीं है जिसे पार नहीं किया जा सकता। मलेरिया से जूझ रहे देशों के नेतृत्व और टारगेटेड इंवेस्टमेंट की मदद से, मलेरिया-मुक्त दुनिया का सपना अभी भी हासिल किया जा सकता है।
--आईएएनएस
केआर/
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