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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
काबुल, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान और ईरान से एक ही दिन में 3,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा गया है। इसकी जानकारी मंगलवार को तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
तालिबान के उप प्रवक्ता हमदुल्लाह फित्रत ने हाई कमीशन फॉर एड्रेसिंग माइग्रेंट्स इश्यूज की रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि सोमवार को कुल 580 अफगान परिवार यानी 3,164 लोग पाकिस्तान और ईरान से लौटकर अफगानिस्तान पहुंचे।
फित्रत के अनुसार, शरणार्थी कंधार के स्पिन बोल्डक, हेलमंद के बह्रामचा, हेरात के इस्लाम कला, निमरोज के पुल-ए-अब्रेशम और नंगरहार के तोर्कम बॉर्डर के जरिए अफगानिस्तान लौटे।
उन्होंने बताया कि 962 शरणार्थी परिवारों (5,404 लोग) को उनके-अपने प्रांतों में भेजा गया, जबकि 557 परिवारों को मानवीय सहायता प्रदान की गई। इसके अलावा दूरसंचार कंपनियों ने 663 सिम कार्ड वितरित किए।
फित्रत ने यह भी बताया कि रविवार को 1,053 परिवार यानी 4,834 लोग अफगानिस्तान लौटे थे।
नवंबर में कई अफगान शरणार्थियों ने बताया था कि पाकिस्तान में पुलिस की लगातार सख्ती के कारण उनका जीवन असुरक्षा और डर के माहौल में बीत रहा है। तलाशी अभियान और गिरफ्तारी के अलावा पुलिसकर्मी और अन्य लोग उनकी मजबूरियों का फायदा उठाकर उनसे पैसे वसूल रहे हैं।
अफगानिस्तान स्थित एक समाचार पत्र (हश्त-ए-सुभ डेली) की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में बने शिविरों और बस्तियों में रहने वाले अफगान शरणार्थियों को बुनियादी मानवाधिकार तक प्राप्त नहीं हैं और वे लगातार भय और चिंता में जीवन बिताने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के महीनों में तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के साथ ही इस्लामाबाद ने शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है और राजधानी इस्लामाबाद सहित कई क्षेत्रों में रोजाना प्रवासियों को परेशान किया जा रहा है।
कई शरणार्थियों ने बताया कि कई लोग आवासीय इलाकों में घुसकर पैसे ऐंठते हैं और उन्हें डर होता है कि शिकायत करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। एक अफगान शरणार्थी ने बताया, “स्थिति अत्यंत भयावह है। पुलिस जानती है कि कोई शिकायत नहीं करेगा, इसलिए वे अलग-अलग आते हैं। अब हमें यह भी पता नहीं होता कि सामने वाला व्यक्ति पुलिस है, अपराधी है या पुलिस के साथ मिला हुआ है।”
एक अन्य शरणार्थी जुनैद ने बताया कि कुछ दिन पहले रात में एक व्यक्ति ने खुद को पुलिस बताते हुए उसका वीज़ा मांगा और विरोध करने पर हिंसा की धमकी दी। बाद में दो और लोग आए और उसे गाड़ी में बैठाकर 15,000 रुपये वसूले, तब जाकर उसे छोड़ा गया।
शरणार्थियों ने कहा कि वे अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं और उनकी सुरक्षा और अधिकार का कोई संरक्षण नहीं है।
--आईएएनएस
डीएससी
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