किसानों को 25 करोड़ से ज्यादा सॉइल हेल्थ कार्ड बांटे गए, योजना के लिए 1,706 करोड़ रुपए जारी

किसानों को 25 करोड़ से ज्यादा सॉइल हेल्थ कार्ड बांटे गए, योजना के लिए 1,706 करोड़ रुपए जारी

किसानों को 25 करोड़ से ज्यादा सॉइल हेल्थ कार्ड बांटे गए, योजना के लिए 1,706 करोड़ रुपए जारी

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IANS
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Cuttack: Farmers Celebrate Independence Day While Working in Fields

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)। लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश भर में उर्वरकों के संतुलित उपयोग और बेहतर मृदा प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इस वर्ष जुलाई तक 25 करोड़ से ज्यादा सॉइल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।

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सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के समर्थन के लिए फरवरी 2025 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 1,706.18 करोड़ रुपए प्रदान किए जा चुके हैं।

आंकड़ों के अनुसार, इसके प्रभाव को बढ़ाते हुए, भारतीय मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण ने बड़े पैमाने पर सॉइल मैपिंग भी की है। आधिकारिक 40 आकांक्षी जिलों की भूमि सहित लगभग 290 लाख हेक्टेयर में 1:10,000 के पैमाने पर मैपिंग पूरी हो चुकी है।

किसानों को उर्वरकों का बुद्धिमानी से उपयोग करने में मार्गदर्शन देने के लिए, 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1,987 विलेज-लेवल सॉइल फर्टिलिटी मैप्स बनाए गए हैं। ये मैप्स किसानों को अपनी मिट्टी और फसलों के लिए बेहतर विकल्प चुनने में मदद करते हैं।

वर्ष 2015 को अंतरराष्ट्रीय मृदा वर्ष के रूप में चिह्नित किया गया था। इसी दिन भारत ने 19 फरवरी को अपनी ऐतिहासिक सॉइल हेल्थ कार्ड योजना भी शुरू की थी, जिसका उद्देश्य देश भर के प्रत्येक खेत की पोषक स्थिति का आकलन करना था।

इस योजना का आधिकारिक शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सूरतगढ़ में किया था। यह राज्य सरकारों को किसानों को मृदा स्वास्थ्य पर विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करने में सहायता करता है।

ये कार्ड मृदा उर्वरता में सुधार के तरीके बताते हैं और किसानों को स्थायी पद्धतियों को अपनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

वर्ष 2022-23 से, इस योजना को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है और अब इसे मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता के रूप में जाना जाता है।

सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को उनकी प्रत्येक भूमि के लिए दी जाने वाली एक प्रिंटेड रिपोर्ट है। यह 12 प्रमुख मापदंडों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर (वृहद पोषक तत्व) आदि का परीक्षण कर मिट्टी की स्थिति दर्शाता है

यह योजना किसानों को नियमित परीक्षण के माध्यम से उनकी मिट्टी की जरूरतों को समझने में मदद करती है और हर दो साल में मार्गदर्शन प्रदान करती है।

प्रत्येक कार्ड किसानों को उनकी भूमि की पोषक स्थिति की स्पष्ट जानकारी देता है।

यह उर्वरकों, जैव-उर्वरकों, जैविक आदानों और मृदा उपचार की सही मात्रा का भी सुझाव देता है ताकि वे समय के साथ अपनी मिट्टी की बेहतर देखभाल कर सकें।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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