10 लाख से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यम सरकारी ई-मार्केटप्लेस से जुड़े

10 लाख से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यम सरकारी ई-मार्केटप्लेस से जुड़े

10 लाख से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यम सरकारी ई-मार्केटप्लेस से जुड़े

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IANS
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Over 10 lakh micro and small enterprises join Government e-Marketplace

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने शनिवार को बताया कि 10 लाख से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई) सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल से जुड़ चुके हैं और वित्त वर्ष 2024-25 में जीईएम पर कुल लेनदेन मूल्य लगभग 5.40 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

जीईएम के एडिशनल सीईओ अजीत बी चव्हाण ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म एमएसएमई के लिए सरकारी विभागों को आपूर्ति करने का एक जरिया है।

‘अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई दिवस’ के अवसर पर पीएचडीसीसीआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने जीईएम पोर्टल की पारदर्शिता और एमएसएमई को विभिन्न विभागों को माल की आपूर्ति करने के लिए इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले अवसरों के बारे में बताया।

चव्हाण ने जीईएम सहाय के बारे में भी बताया, जो जीईएम पर छोटे व्यवसायों के लिए फाइनेंसिंग सॉल्यूशन लेकर आया है। यह ऐप बिना किसी परेशानी के सरकारी ऑर्डर को पूरा करने के लिए तत्काल फाइनेंसिंग प्राप्त करने में सहायता करता है।

पीएचडीसीसीआई की एमएसएमई समिति के सह-अध्यक्ष डीपी गोयल ने दूरदराज के क्षेत्रों में व्यवसायों और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण उद्यमिता विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक डॉ. एचपी कुमार ने बताया कि एमएसएमई को आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और इनोवेशन में उनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।

उन्होंने मौजूदा उद्यमों को उनकी क्षमता निर्माण और विकास के लिए बढ़ावा देते हुए नए उद्यम निर्माण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के वरिष्ठ प्रबंधक वी.के. जैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एनआरडीसी भारत का लीडिंग टेक्नोलॉजी ट्रांसफर संगठन है और एमएसएमई और स्टार्टअप की विभिन्न टेक्नोलॉजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसकी पूरे भारत में सात जगहों पर उपस्थिति मौजूद है।

उन्होंने टेक्नोलॉजी के व्यावसायीकरण में एनआरडीसी की सफलता की कहानियों के कुछ उदाहरण भी साझा किए। इसके अलावा, उन्होंने प्रतिभागियों से एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा आवश्यक किसी भी टेक्नोलॉजी या आईपीआर सहायता के लिए एनआरडीसी से संपर्क करने का आग्रह किया।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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