नई श्रम संहिताएं सामाजिक सुरक्षा को बढ़ातीं, नियोक्ताओं के अनुपालन बोझ को करतीं कम

नई श्रम संहिताएं सामाजिक सुरक्षा को बढ़ातीं, नियोक्ताओं के अनुपालन बोझ को करतीं कम

नई श्रम संहिताएं सामाजिक सुरक्षा को बढ़ातीं, नियोक्ताओं के अनुपालन बोझ को करतीं कम

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IANS
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New labour codes enhance social security, ease employers' compliance burden

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की नई श्रम संहिताएं (लेबर कोड) सामाजिक सुरक्षा कवरेज और श्रमिक संरक्षण को काफी हद तक मजबूत करती हैं, जबकि नियोक्ताओं के लिए अनुपालन संबंधी बोझ को कम करती हैं। यह बात गुरुवार को क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स की रिपोर्ट में सामने आई।

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रिपोर्ट के अनुसार, ये सुधार एक अधिक समावेशी, आधुनिक और प्रतिस्पर्धी श्रम पारितंत्र की दिशा में उठाया गया कदम हैं, जो श्रमिकों के कल्याण और औद्योगिक दक्षता के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुनर्गठन (रेटरेंचमेंट) अनुमोदनों के लिए उच्च सीमा और अनुपालन प्रक्रियाओं के सरलीकरण से नियामकीय बोझ घटता है, जिससे निवेश-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा मिलता है। डिजिटल फाइलिंग, प्रशासनिक प्रक्रियाओं में कमी और कार्यबल प्रबंधन में लचीलापन भी उद्योगों को राहत प्रदान करते हैं।

हालांकि गिग प्लेटफॉर्म को नई सामाजिक सुरक्षा लागत वहन करनी पड़ेगी, लेकिन इस क्षेत्र के श्रमिकों को पहली बार औपचारिक कार्यकर्ता का दर्जा हासिल होगा। व्यवसायों के लिए कर्मचारियों की संख्या घटाने की स्वीकृति के लिए सीमा 300 तक बढ़ाई गई है और अनुपालन से जुड़े नियमों को सरल बनाया गया है।

इसके तहत मुख्य बदलावों में सार्वभौमिक न्यूनतम एवं फर्श वेतन, लैंगिक समान वेतन, ओवरटाइम भुगतान सामान्य दर के दोगुने पर, निश्चित अवधि रोजगार का औपचारिक दर्जा, पुनर्कौशल (री-स्किलिंग) फंड, वर्क-फ्रॉम-होम की मान्यता, 60 दिन की हड़ताल सूचना अनिवार्यता और औद्योगिक संबंध संहिता के तहत पुनर्गठन सीमा 300 कर्मचारियों तक शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, निश्चित अवधि के कर्मचारियों को एक वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। वहीं, 51 प्रतिशत वोट प्राप्त करने वाले ट्रेड यूनियन को औद्योगिक प्रतिष्ठानों में विशेष वार्ताकार अधिकार मिलेंगे।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को ईपीएफओ, ईएसआई और ग्रेच्युटी जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में शामिल किया गया है। राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2025 तक बढ़कर कुल कार्यबल का 64 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो 2015 में मात्र 19 प्रतिशत था।

नई श्रम संहिताओं के तहत एकल पंजीकरण/लाइसेंसिंग, डिजिटल रजिस्टर और इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर प्रणाली के माध्यम से अनुपालन और सरल हो गया है।

चारों एकीकृत श्रम संहिताएं वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियों के 29 पुराने श्रम कानूनों को समाहित करके 21 नवंबर से प्रभाव में आ गई हैं।

--आईएएनएस

डीएससी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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