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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। भारत और भूटान ने सोमवार को दोनों देशों के बीच रेल संपर्क स्थापित करने के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बताया कि भूटान के विदेश सचिव ओम पेमा चोडेन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित इस समझौता ज्ञापन में कोकराझार और गेलेफू तथा बानरहाट और सेरहोमत्से को जोड़ने वाले पहले क्रॉस बोर्डर रेल संपर्क पर सहमति बनी है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री और ओम पेमा चोडेन के बीच वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ये परियोजनाएं दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के हमारे व्यापक प्रयासों का हिस्सा हैं और आर्थिक तथा लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करेंगी।
बयान में आगे कहा गया, विशेष रूप से, उन्होंने 1,020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-2 जलविद्युत परियोजना की सभी छह इकाइयों के सफलतापूर्वक चालू होने का स्वागत किया, जो ऊर्जा साझेदारी पर भारत-भूटान संयुक्त दृष्टिकोण की प्राप्ति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भारत सरकार के सहयोग से चल रही विकास सहयोग परियोजनाओं और पहलों पर भी संतोष व्यक्त किया, जो अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं और भूटान के लोगों को ठोस लाभ पहुंचा रही हैं।
इससे पहले, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत और भूटान को जोड़ने वाली नई परियोजनाओं की घोषणा की ताकि संपर्क और व्यापार को ज्यादा मजबूत किया जा सके।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि इस योजना के तहत दो प्रमुख संपर्क मार्गों की पहचान की गई है। 69 किलोमीटर लंबी कोकराझार-गेलेफू लाइन, जो असम को भूटान के गेलेफू से जोड़ती है और 20 किलोमीटर लंबी बानरहाट-समत्से लाइन जो पश्चिम बंगाल को भूटान से जोड़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि 4,033 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली ये परियोजनाएं व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच आदान-प्रदान को महत्वपूर्ण बढ़ावा देंगी। समत्से और गेलेफू भूटान में प्रमुख निर्यात-आयात केंद्र हैं। गेलेफू को भूटान सरकार द्वारा एक माइंडफुलनेस शहर और समत्से को एक औद्योगिक शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है।
सीपीआरओ ने कहा कि कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए, कोकराझार-गेलेफू लाइन को एक विशेष रेलवे परियोजना घोषित किया गया है, जिससे मंजूरी और भूमि अधिग्रहण में तेजी आएगी।
उन्होंने कहा कि वित्तीय पक्ष में, रेल मंत्रालय भारतीय पक्ष के कार्यों के लिए निवेश वहन करेगा, जबकि भारत सरकार, विदेश मंत्रालय के माध्यम से, भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भूटानी हिस्से का समर्थन करेगी।
भारत भूटान का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है और ये रेल परियोजनाएं संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देते हुए आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेंगी।
--आईएएनएस
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