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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। एक अध्ययन के अनुसार, साधारण रक्त परीक्षण से ही गंभीर लिवर सिरोसिस या कैंसर रिस्क का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर दावा किया कि प्राइमरी केयर में साधारण रक्त परीक्षण को ही गंभीरता से अपनाया जाए तो सिरोसिस और लिवर कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
इस परीक्षण को विकसित करने वाले इंस्टीट्यूट के चिकित्सा विभाग के शोधकर्ता रिकार्ड स्ट्रैंडबर्ग ने कहा, ये ऐसी बीमारियां हैं जो तेजी से आम होती जा रही हैं और अगर इनका देर से पता चले तो नतीजे बहुत खराब होता है।
स्ट्रैंडबर्ग ने आगे कहा, हमारी विधि 10 वर्षों में ही गंभीर लिवर रोग के रिस्क का पता लगा सकती है और यह तीन सरल नियमित रक्त परीक्षणों पर आधारित है।
द बीएमजे पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने मूल्यांकन किया कि यह विधि गंभीर यकृत रोग के जोखिम का कितनी अच्छी तरह अनुमान लगा सकती है।
यह मॉडल - कोर - उन्नत सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करके तैयार किया गया था और यह पांच कारकों पर आधारित है: आयु, लिंग और तीन सामान्य लिवर एंजाइम्स (एएसटी, एएलटी और जीजीटी) का स्तर, जिन्हें आमतौर पर नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान मापा जाता है।
कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर और प्रमुख अन्वेषक हेंस हैगस्ट्रॉम ने कहा, प्राथमिक चिकित्सा में लिवर रोग की शीघ्र जांच की सुविधा प्रदान करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
हैगस्ट्रॉम के मुताबिक नया अध्ययन पीड़ितों की पहचान कर बीमारियों के उपचार में हमारी और मदद कर सकता है।
यह अध्ययन स्टॉकहोम में 480,000 से अधिक लोगों के डेटा पर आधारित है, जिन्होंने 1985 और 1996 के बीच हेल्थ चेकअप करवाया था और जिनको अगले 30 वर्षों तक निगरानी की जाती रही।
टीम ने कहा कि कोर मॉडल अत्यधिक सटीक साबित हुआ। ये 88 प्रतिशत मामलों में उन लोगों के बीच अंतर करने में सक्षम रहा जिन्हें ये बीमारी हुई था या नहीं।
--आईएएनएस
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