सुभाष चंद्र बोस के परपोते ने नेताजी की विरासत को सम्मानित करने में पीएम मोदी के प्रयासों को याद किया

सुभाष चंद्र बोस के परपोते ने नेताजी की विरासत को सम्मानित करने में पीएम मोदी के प्रयासों को याद किया

सुभाष चंद्र बोस के परपोते ने नेताजी की विरासत को सम्मानित करने में पीएम मोदी के प्रयासों को याद किया

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IANS
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Subhas Chandra Bose's grand nephew recalls PM Modi’s efforts in honouring Netaji's legacy

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। देश भर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में पराक्रम दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर नेताजी के परपोते चित्तप्रिय बोस ने पीएम मोदी के नेताजी से जुड़ाव और फाइलों को सार्वजनिक करने के संबंध में परिवार के साथ कई बैठकों के बारे में बात की। एक वीडियो संदेश में उन्होंने उन अवसरों को याद किया जब पीएम मोदी ने नेताजी के अमूल्य योगदान का सम्मान किया था।

चित्तप्रिय बोस ने रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखने, इंडिया गेट पर एक भव्य प्रतिमा स्थापित करने, लाल किले में आईएनए संग्रहालय की स्थापना करने और नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित करने जैसे उदाहरणों के साथ नेताजी की विरासत का सम्मान करने में पीएम मोदी के प्रयासों की भी सराहना की।

आजादी के बाद दशकों तक नजरअंदाज की गई नेताजी की गुमशुदगी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने का श्रेय पीएम मोदी को देते हुए चित्तप्रिय बोस ने कहा कि यह उनकी तत्काल कार्रवाई का ही परिणाम था कि उनके प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद यह प्रक्रिया शुरू हो गई।

नेताजी परिवार की पीएम मोदी के साथ पहली मुलाकात को याद करते हुए उन्होंने कहा, मैं, मेरे बड़े भाई सुप्रिय बोस, दो-तीन चचेरे भाई और प्रोफेसर चित्रा घोष ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद कोलकाता के राजभवन में उनसे मुलाकात की थी। इसका उद्देश्य उनसे नेताजी के लापता होने के बारे में जांच शुरू करने का अनुरोध करना था, खासकर 18 अगस्त 1945 के बाद। हमारी बात सुनने के बाद उन्होंने कहा कि ठीक है मैं आपके परिवार के और सदस्यों से मिलना चाहूंगा। उन्होंने हमें और परिवार के सदस्यों के साथ दिल्ली आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा, 50 सदस्यों वाला एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री कार्यालय गया था। प्रतिनिधिमंडल में 25 परिवार के सदस्य थे और 25 अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित नागरिक शामिल थे। मैंने अपने पिता बिजेंद्र नाथ बोस का प्रतिनिधित्व किया, जो एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और नेताजी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे। हमने नेताजी के लापता होने के विवरण को सार्वजनिक करने के बारे में अपने विचार व्यक्त किए थे।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को निर्देश दिया था कि वे इस प्रक्रिया को शुरू करें और फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए रूस से अनुरोध करें। चित्तप्रिय बोस ने राष्ट्र के लिए नेताजी के अमूल्य योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध और निरंतर प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की।

उन्होंने कहा कि यह पीएम नरेंद्र मोदी ही हैं जिन्होंने नेताजी की वीरता, बलिदान और राष्ट्र के प्रति समर्पण के कारण उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित करने का फैसला किया। उन्होंने हमें लाल किले में एक संग्रहालय के बारे में भी बताया, जिसमें नेताजी के आईएनए के दिनों की यादें ताजा की गईं।

उन्होंने कहा, फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के बाद, राष्ट्रीय अभिलेखागार में एक अलग विंग नेताजी को समर्पित किया गया और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में इसका अनावरण किया गया था।

उन्होंने आगे कहा कि चौथी बार जब वे पीएम मोदी से मिले, तो वह नेताजी की 125वीं जयंती थी, जिसे कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में बड़े पैमाने पर मनाया गया था। पीएम मोदी ने इस अवसर को नेताजी के परिवार के साथ मनाया और स्मारक सिक्के और टिकट भी जारी किए थे।

बता दें कि हर वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के मौके पर पराक्रम दिवस मनाया जाता है। इस पराक्रम दिवस को मनाए जाने की शुरुआत नेताजी की 125वीं जयंती से हुई थी। 23 जनवरी, 2025 में नेताजी की 128वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जा रही है।

--आईएएनएस

एफजेड/

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