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नेपाल में नए शिक्षा विधेयक को शिक्षकों ने किया खारिज, विरोध प्रदर्शन फिर शुरू करने की दी चेतावनी

नेपाल में नए शिक्षा विधेयक को शिक्षकों ने किया खारिज, विरोध प्रदर्शन फिर शुरू करने की दी चेतावनी

नेपाल में नए शिक्षा विधेयक को शिक्षकों ने किया खारिज, विरोध प्रदर्शन फिर शुरू करने की दी चेतावनी

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IANS
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Nepal: Teachers reject new education bill, warn of resuming protests

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

काठमांडू, 21 मई (आईएएनएस)। देश की संसदीय उपसमिति से पारित स्कूल शिक्षा विधेयक पर नेपाल शिक्षक संघ ने चिंता जताई है और इसके विरोध में जोरदार प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बुधवार को महासंघ ने कहा, विधेयक शिक्षकों के आंदोलन और पिछले समझौतों का सम्मान नहीं करता है। हम प्रतिनिधि सभा की शिक्षा, स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी समिति से इसमें संशोधन का आग्रह करते हैं।

यह चेतावनी महासंघ की सरकार के साथ आम सहमति पर पहुंचने और महीने भर के विरोध को वापस लेने के हफ्तों बाद आई है।

महासंघ ने कहा, अगर संशोधन नहीं होता है, तो शिक्षक और कर्मचारी बड़ी ताकत के साथ सड़कों पर उतरेंगे। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली किसी भी गंभीर स्थिति के लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार होगी।

महासंघ ने कहा कि संशोधित विधेयक सितंबर 2023 में संसद में पंजीकृत मूल विधेयक की तुलना में और अधिक पीछे ले जाने वाला है।

मंगलवार को महासंघ के बयान में कहा गया, अस्थायी शिक्षकों के लिए आंतरिक प्रतियोगिता के समझौते को बरकरार नहीं रखा गया है। इसके अलावा, अस्थायी अनुबंध और शिक्षण अनुदान शिक्षकों को आंतरिक प्रतियोगिता से बाहर रखा गया है।

विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि 60 प्रतिशत सीटें आंतरिक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से भरी जाएंगी, जबकि शेष 40 प्रतिशत रिक्तियां खुली प्रतिस्पर्धा के माध्यम से भरी जाएंगी।

इसके अतिरिक्त, महासंघ ने विधेयक के इस प्रावधान पर असंतोष व्यक्त किया है कि शिक्षकों को स्वचालित पदोन्नति के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम सात वर्ष की सेवा पूरी करनी होगी।

वक्तव्य में कहा गया है, इसमें उन शिक्षकों के लिए अस्थायी सेवा के वर्षों की गणना करने का कोई प्रावधान शामिल नहीं है, जो बाद में स्थायी हो गए। पेंशन की अर्हता प्राप्त करने के लिए अस्थायी सेवा अवधि को ध्यान में रखने के समझौते को नए विधेयक में नजरअंदाज कर दिया गया है।

महासंघ ने स्कूल शिक्षकों को स्थानीय सरकारों के अधीन रखने के प्रावधान पर भी आपत्ति जताई। महासंघ ने कहा, शिक्षकों को बिना किसी लाभ या विकल्प के जबरन स्थानीय स्तर पर स्थानांतरित किया जा रहा है। इसके अलावा, महासंघ ने शिक्षकों को राजनीतिक संबद्धता रखने से रोकने और प्रधानाध्यापकों को महासंघ का सदस्य बनने से रोकने वाले खंड का कड़ा विरोध किया।

महासंघ के मुताबिक, नया विधेयक शिक्षकों और कर्मचारियों के पेशेवर ट्रेड यूनियन गतिविधियों में शामिल होने के अधिकार को कमजोर करता है।

महासंघ ने चेतावनी देते हुए कहा, ऐसा लगता है कि राज्य शिक्षकों और कर्मचारियों के विरोध की एक नई लहर को आमंत्रित कर रहा है।

--आईएएनएस

पीएके/एबीएम

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