ऑटोपायलट क्रैश केस में अमेरिका में टेस्ला पर लगा 240 मिलियन डॉलर से अधिक का जुर्माना

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ऑटोपायलट क्रैश केस में अमेरिका में टेस्ला पर लगा 240 मिलियन डॉलर से अधिक का जुर्माना

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IANS
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Tesla most wanted car brand in the world: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

सैन फ्रांसिस्को, 2 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिका में एक फेडरल जूरी ने अरबपति कारोबारी एलन मस्क के नेतृत्व वाली इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला पर 2019 में हुई एक दुर्घटना के पीड़ितों को 240 मिलियन डॉलर से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह दुर्घटना कथित तौर पर कंपनी की खराब ऑटोपायलट ड्राइवर असिस्टेंस टेक्नोलॉजी के कारण हुई थी।

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पीड़ितों के अनुसार, जूरी ने टेस्ला के सिस्टम को दुर्घटना के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार पाया।

2019 में हुई इस दुर्घटना में एक टेस्ला मॉडल 3 कार ने देर रात सड़क किनारे तारों को निहार रहे प्रेमी युगल नाइबेल बेनावाइड्स लियोन और डिलन एंगुलो को टक्कर मार दी थी, इसमें 22 वर्षीय लियोन की मृत्यू हो गई थी, जबकि एंगुलो गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

दुर्घटनाग्रस्त टेस्ला कार के ड्राइवर ने अपने मोबाइल फोन के कारण ध्यान भटकने की बात स्वीकार की है, लेकिन जूरी ने निष्कर्ष निकाला कि टेस्ला की ऑटोपायलट तकनीक भी विफल रही और कंपनी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती।

न्यायालय के रिकॉर्ड के अनुसार, जूरी ने 200 मिलियन डॉलर का दंडात्मक हर्जाना, लियोन के परिवार को 59 मिलियन डॉलर का प्रतिपूरक हर्जाना और एंगुलो को 70 मिलियन डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया।

कई रिपोर्टों के अनुसार, इस फैसले में यह माना गया कि कंपनी तकनीकी खराबी जैसे कि ड्राइवर असिस्टेंस टेक्नोलॉजी या ऑटोपायलट की खराबी के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेगी, भले ही मानवीय भूल ही क्यों न हुई हो। टेस्ला ने पहले भी इसी तरह के मुकदमों को या तो अदालत के बाहर निपटारा कर दिया था या उन्हें सुनवाई से पहले ही खारिज कर दिया था। इस मामले ने इस चलन को तोड़ दिया है और यह कई लोगों को अदालत में न्याय पाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

यह फैसला ऐसे समय आया है जब एलन मस्क इस साल के अंत में चुनिंदा शहरों में टेस्ला की ड्राइवरलेस टैक्सी सेवा शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, टेस्ला ने 2019 में हुई इस दुर्घटना के बाद से अपने ऑटोपायलट सिस्टम को काफी एडवांस किया है, लेकिन यह फैसला उसके सॉफ्टवेयर की वास्तविक दुनिया में विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगा।

--आईएएनएस

एबीएस/

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