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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
मुंबई, 26 सितंबर (IANS) । मुंबई और पुणे में हाउसिंग बिक्री में कोविड के बाद महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें 2016 से 2019 के बीच 46,528 यूनिट की तुलना में 2022 से 2025 के पहले छह महीने के बीच कुल वार्षिक बिक्री लगभग दोगुनी होकर 1.05 लाख यूनिट हो गई। यह जानकारी शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
यह वृद्धि दोनों महानगरों में मजबूत आर्थिक विश्वास और मांग को दर्शाती है।
जेएलएल और एनएआरईडीसीओ की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है, मुंबई में 2019 से 2025 की पहली छमाही के बीच लगभग 28 प्रतिशत की पूंजी वृद्धि हुई, जिसमें 2023 में 10 प्रतिशत से अधिक की उच्चतम वृद्धि दर दर्ज की गई, जबकि पुणे में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
यह वृद्धि शहरों की बढ़ती अपील और आर्थिक गतिशीलता को दर्शाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई और पुणे एक ऐसे परिवर्तनकारी हाउसिंग क्रांति के लिए तैयार हैं, जो लाखों मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों के लिए घर खरीदने के अवसरों को बदल सकता है।
बाजार में तेजी से प्रीमियमीकरण के जवाब में नीति निर्माताओं ने 2030 तक 35 लाख किफायती घर बनाने के लक्ष्य के साथ 70,000 करोड़ रुपए के निवेश योजना की घोषणा की है, जबकि महंगे शहर के केंद्रों के विकल्प के रूप में नए बाहरी इलाके उभर रहे हैं।
जेएलएल इंडिया के सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर (मुंबई एमएमआर और गुजरात) और हेड-अल्टरनेटिव्स करण सिंह सोढ़ी ने कहा, महाराष्ट्र में 2022 और 2025 की पहली छमाही के बीच कुल लॉन्च में प्रीमियम हाउसिंग 43 प्रतिशत से बढ़कर 59 प्रतिशत हो गई, जबकि 50 लाख रुपए से कम कीमत वाले किफायती घरों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत से घटकर केवल 12 प्रतिशत रह गई।
उन्होंने कहा कि माई हाउस, माई राइट नीति 2030 तक 35 लाख ईडब्ल्यूएस/एलआईजी घरों के लक्ष्य के साथ लगभग 70,000 करोड़ रुपए के निवेश के माध्यम से आपूर्ति और क्षमता के अंतर को दूर करती है।
यह पहल स्टेट हाउसिंग इंफॉर्मेशन पोर्टल (एसएचआईपी) के जरिए एआई-पावर्ड पारदर्शिता का इस्तेमाल करती है और इसे एमएएचएआरईआरए और पीएम गति शक्ति जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है।
हालांकि प्रीमियम हाउसिंग नए लॉन्च पर हावी हो गई है, लेकिन इस बदलाव ने समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक नीतिगत प्रतिक्रिया को बढ़ावा दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान लॉन्च में आम लोगों के लिए घरों की हिस्सेदारी में गिरावट ने रणनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत को रेखांकित किया, जिससे किफायती आवास की ऐतिहासिक पहल शुरू हुई।
भारत के प्रमुख महानगरों में शहरी विकास में एक बड़ा बदलाव हो रहा है, जहां उभरते किफायती आवास कॉरिडोर सस्टेनेबल और समावेशी विकास के लिए कैटेलिस्ट बन रहे हैं।
एनएआरईडीसीओ महाराष्ट्र के अध्यक्ष प्रशांत शर्मा ने कहा, महाराष्ट्र स्टेट हाउसिंग पॉलिसी 2025 एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आई है, जहां हमारा आवासीय बाजार अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है, लेकिन वह अभी भी अफोर्डेबिलिटी और समावेशिता में चुनौतियों का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा, माझे घर, माझे अधिकार को अपनी मुख्य भावना के रूप में प्राथमिकता देकर, यह नीति न केवल आवास लक्ष्य का वादा करती है, बल्कि महाराष्ट्र के शहरी भविष्य को फिर से आकार देती है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए यह अधिक न्यायसंगत, सस्टेनेबल और इंक्लूसिव बन सके।
--आईएएनएस
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