'मछुआरा आयोग' का गठन बिहार चुनाव से पहले एक 'नौटंकी' : मुकेश सहनी

'मछुआरा आयोग' का गठन बिहार चुनाव से पहले एक 'नौटंकी' : मुकेश सहनी

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IANS
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Formation of Fishermen Commission a 'gimmick' before Bihar elections: Mukesh Sahani

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

पटना, 1 जून (आईएएनएस)। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने रविवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मछुआरा आयोग का गठन चुनाव पूर्व नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं है।

मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुकेश सहनी ने इस कदम को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पेश किया गया “लॉलीपॉप” बताया, जिसका उद्देश्य केवल निषाद समुदाय को लुभाना है।

उन्होंने कहा, “चुनाव से ठीक पहले इस सरकार को अचानक मछुआरा आयोग की आवश्यकता क्यों याद आई? यह दिखावा है। एनडीए कई साल से सत्ता में है, लेकिन उन्होंने मछुआरों या निषाद समुदाय के मुद्दों को हल करने के लिए कभी कोई गंभीर कदम नहीं उठाया।”

निषाद समुदाय के बीच मजबूत समर्थन का दावा करने वाले सहनी ने एनडीए पर पिछले चुनावों में समुदाय से किए गए वादों को तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब आयोग का गठन खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए एक हताशा भरा कदम है।

उन्होंने कहा, “एनडीए के पास अब निषाद वोट नहीं है। लोगों ने उनके झूठ को देख लिया है। उन्होंने अपने वादे तोड़े और इस बार निषाद उन्हें इसकी कीमत चुकाएंगे।” वीआईपी प्रमुख ने भाजपा और उसके सहयोगियों को चेतावनी दी कि जब तक वे अन्य राज्यों की तरह निषादों के लिए आरक्षण जैसी मुख्य मांगों को पूरा नहीं करते, तब तक उन्हें समुदाय से समर्थन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

निषाद समुदाय, जो पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने और जल-आधारित आजीविका से जुड़ा हुआ है, बिहार में एक महत्वपूर्ण मतदाता समूह है। यह समूह वीआईपी के शीर्ष पर सहनी के आने से राजनीतिक रूप से मुखर हो गया है। पार्टी मुख्य रूप से उनके हितों का प्रतिनिधित्व करती है और प्रतिनिधित्व, अधिकार और आरक्षण लाभ की मांग कर रही है।

सहनी ने कहा, आरक्षण के बिना एनडीए को एक भी निषाद वोट नहीं मिलेगा। यह समुदाय एकजुट है और खोखले वादे करने वालों को हराने के लिए दृढ़ है।

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब 2025 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं।

--आईएएनएस

एससीएच/एकेजे

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