वो कौन सी वजह हैं, जिसकी भेंट चढ़ गई पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीसरी शांता वार्ता?

वो कौन सी वजह हैं, जिसकी भेंट चढ़ गई पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीसरी शांता वार्ता?

वो कौन सी वजह हैं, जिसकी भेंट चढ़ गई पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीसरी शांता वार्ता?

author-image
IANS
New Update
Mistrust, diverging security priorities, conflicting domestic pressures behind repeated Af-Pak talks failures

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तीसरे दौर की शांति वार्ता भी फेल रही। दूसरी ओर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ अफगानिस्तान को लगातार जंग की खुली धमकी दे रहे हैं। इधर अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तानी सेना के हमले के बाद इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि दोनों देशों के बीच फिर से जंग शुरू होने वाली है।

Advertisment

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सुलह कराने के लिए कतर और तुर्किए की सारी कोशिशें फेल हो गईं। तुर्किए और कतर ने तीन राउंड वार्ता के तहत दोनों देशों के बीच सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला।

इस्तांबुल में दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता से पहले ही उनमें विश्वास की कमी थी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तालिबान सरकार के बातचीत करने के स्वतंत्र अधिकार पर सवाल उठाया था। उन्होंने तालिबान के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश करने के बजाय काबुल को प्रभावित करने के लिए भारत को दोषी ठहराया।

वार्ता के बाद आसिफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए कहा कि बातचीत एक अनिश्चित दौर में चली गई है। अफगान प्रतिनिधिमंडल बिना किसी कार्यक्रम के आया था और कोई लिखित समझौता साइन नहीं किया।

दरअसल इस्लामाबाद चाहता है कि अफगानिस्तान में मौजूद पाकिस्तानी आतंकवादियों खासकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उससे जुड़े नेटवर्क को निर्णायक रूप से खत्म किया जाए और सीमा पार हमलों को रोकने के लिए एक लिखित समझौता चाहता है। वहीं तालिबान ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई अफगान कानून और संप्रभुता पर आधारित होनी चाहिए।

इस बीच, तालिबान ने इस्लामाबाद द्वारा आंतरिक अफगान सुरक्षा उपायों को तय करने की कोशिशों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि काबुल इस्लामाबाद के लिए पुलिस एजेंट के तौर पर काम नहीं करेगा या ऐसे खुले वादे साइन नहीं करेगा जिनका इस्तेमाल विदेशी दखल को सही ठहराने के लिए किया जा सके।

वार्ता में बाधा की एक वजह वेरिफिकेशन रही। बातचीत के दौरान इस्लामाबाद ने लिखित, मॉनिटर करने योग्य प्रतिबद्धताएं और तीसरे पक्ष के वेरिफिकेशन के लिए एक मैकेनिज्म की मांग की मांगा, जिसे अफगानिस्तान ने अपनी स्वतंत्रता का उल्लंघन माना।

अफगान तालिबान ने पाकिस्तान-तालिबान को पनाह देने या सीमा पार आतंकवादी हमलों में मदद करने में किसी भी तरह की संलिप्तता से बार-बार इनकार किया है। लिखित वादा करने का मतलब होगा कि पाकिस्तान के खिलाफ गुप्त ऑपरेशनों में काबुल की संलिप्तता के इस्लामाबाद के आरोपों को सही ठहराना।

इसके अलावा बात नहीं बनने के केंद्र में अफगान शरणार्थियों की वापसी भी एक कारण है। पाकिस्तान द्वारा हजारों लोगों को अपनी जमीन से निकालकर वापस भेजने से तालिबान पर भारी दबाव है। यहां तक ​​कि इंटरनेशनल एजेंसियां ​​भी इस्लामाबाद से इस फ्लो को कंट्रोल करने की रिक्वेस्ट कर रही हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दोनों देशों के बीच बातचीत न बनने पर मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे कतर और तुर्की ने निराशा जताई है।

--आईएएनएस

केके/वीसी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment