नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। एक शोध से यह बात सामने आई है कि मेनोपॉज काल से गुजर रही महिलाओं में ऐसे बदलाव होने की संभावना है जो उनके हृदय के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। मेनोपॉज और महिलाओं की लिपिड प्रोफाइल में एक कनेक्शन देखा गया है।
ऐसे मिथक हैं कि हृदय रोग (सीवीडी) सिर्फ पुरुषों का रोग है। मगर यह महिलाओं में होने वाली मौतों का 40 प्रतिशत कारण माना जाता है, जिससे यह आज महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण बन गया है।
हालांकि महिलाओं को आमतौर पर पुरुषों की तुलना में 10 साल बाद हृदय रोग का खतरा होता है, लेकिन मेनोपॉज के बाद उन्हें हृदय रोग होने का जोखिम अधिक होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर, यू.एस.में अध्ययन की लेखिका डॉ. स्टेफनी मोरेनो ने कहा, मेनोपॉज के दौरान और उसके बाद एल.डी.एल. की मात्रा में बढ़ोतरी और एच.डी.एल. में कमी होती है।
यह स्थिति हृदय रोग से जुड़ी होती है। जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसे हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है।
शोध में 1,246 प्रतिभागियों ने भाग लिया और शोधकर्ताओं ने न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) प्रौद्योगिकी का उपयोग किया।
मोरेनो ने कहा, हमने पाया कि मेनोपॉज की वजह से लिपोप्रोटीन प्रोफाइल में प्रतिकूल परिवर्तन देखे गए हैं। जिसमें सबसे अधिक स्पष्ट परिवर्तन एलडीएल पार्टिकल्स में बढ़ोतरी है।
टीम ने कहा कि इन निष्कर्षों से मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में हृदय रोग के बढ़ने की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है, तथा यह निर्धारित करने में भी मदद मिल सकती है कि क्या इसमें पहले ही हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
यह निष्कर्ष 30 अगस्त से 2 सितंबर तक यूके में होने वाली यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) कांग्रेस 2024 की आगामी बैठक में प्रस्तुत किए जाएंगे।
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