मातृत्व अवकाश और कार्यस्थल पूर्वाग्रह से बढ़ रहा जेंडर पे-गैप: रिपोर्ट

मातृत्व अवकाश और कार्यस्थल पूर्वाग्रह से बढ़ रहा जेंडर पे-गैप: रिपोर्ट

मातृत्व अवकाश और कार्यस्थल पूर्वाग्रह से बढ़ रहा जेंडर पे-गैप: रिपोर्ट

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IANS
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Maternity breaks, workplace bias drive gender pay gap in India: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)। भारत में जेंडर पे-गैप (लैंगिक वेतन असमानता) को लेकर एक सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। लगभग आधे नौकरी तलाशने वालों (45 प्रतिशत) का मानना है कि देश में महिलाओं और पुरुषों के बीच वेतन का अंतर 20 प्रतिशत से अधिक है। इसके पीछे मुख्य कारण मातृत्व अवकाश से जुड़ी करियर ब्रेक और कार्यस्थल पर पूर्वाग्रह को बताया गया है।

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नौकरी पोर्टल नौकरी द्वारा 80 उद्योगों में कराए गए इस सर्वे में 51 प्रतिशत पेशेवरों ने कहा कि महिलाओं के करियर में मातृत्व अवकाश सबसे बड़ी वजह है, जिसकी वजह से वेतन असमानता बढ़ती है। वहीं, 27 प्रतिशत ने कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण और पूर्वाग्रह को इसकी अहम वजह माना।

आईटी (56 प्रतिशत), फार्मा (55 प्रतिशत) और ऑटोमोबाइल (53 प्रतिशत) सेक्टर में यह धारणा सबसे ज्यादा प्रबल रही। खासतौर पर 5 से 10 साल (54 प्रतिशत) और 10 से 15 साल (53 प्रतिशत) अनुभव वाले पेशेवरों ने करियर ब्रेक का प्रभाव सबसे अधिक बताया।

सर्वे के अनुसार, आधे से अधिक पेशेवरों ने आईटी को सबसे बड़ा जेंडर पे-गैप वाला उद्योग माना। वहीं, एविएशन (57 प्रतिशत) और शिक्षा (52 प्रतिशत) में असमानता की धारणा सबसे अधिक रही, जबकि रियल एस्टेट (21 प्रतिशत), एफएमसीजी (18 प्रतिशत) और बैंकिंग (12 प्रतिशत) जैसे सेक्टर अपेक्षाकृत बेहतर माने गए। तेल एवं गैस और रिटेल जैसे पारंपरिक उद्योगों में तस्वीर अधिक सकारात्मक पाई गई।

युवा पेशेवरों, फ्रेशर्स और मिड-लेवल कर्मचारियों में भी आईटी सेक्टर को सबसे ज्यादा दोषी माना गया। खासतौर पर हैदराबाद (59 प्रतिशत) और बेंगलुरु (58 प्रतिशत) जैसे टेक्नोलॉजी हब में वेतन असमानता को लेकर सबसे ज्यादा चिंता दर्ज की गई।

अनुभवी पेशेवरों में भी यह धारणा और मजबूत रही। 10 से 15 साल अनुभव वाले 46 प्रतिशत और 15 साल से अधिक अनुभव वाले 47 प्रतिशत पेशेवरों ने कहा कि जेंडर पे-गैप 20 प्रतिशत से अधिक है।

अधिकांश पेशेवरों का मानना है कि परफॉर्मेंस आधारित प्रमोशन इस असमानता को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा, पूर्वाग्रह-मुक्त और पारदर्शी हायरिंग (27 प्रतिशत) तथा पारदर्शी वेतन प्रणाली (21 प्रतिशत) को भी समाधान के रूप में सुझाया गया। खासकर नोएडा और गुरुग्राम जैसे कॉर्पोरेट हब में वेतन पारदर्शिता की मांग सबसे ज्यादा उठी।

--आईएएनएस

डीएससी/

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