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भारत में प्रीमियम बाइकों की बाजार हिस्सेदारी 6 वर्षों में 5 प्रतिशत बढ़ी
(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस) । 150 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली प्रीमियम मोटरसाइकिल की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 19 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2018-2019 में 14 प्रतिशत थी। गुरुवार को जारी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती मांग और तेजी से बढ़ते मॉडल विकल्पों के कारण इनकी बिक्री 19 लाख यूनिट से बढ़कर 23 लाख यूनिट हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वृद्धि मोटरसाइकिलों की कुल बिक्री में गिरावट के बिल्कुल विपरीत है, जो वित्त वर्ष 2019 में 1.36 करोड़ यूनिट से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 1.23 करोड़ यूनिट रह गई, और कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री 2.12 करोड़ यूनिट से घटकर 1.99 करोड़ यूनिट रह गई।
पिछले वित्त वर्ष में प्रीमियम बाइकों की बिक्री कोरोना पूर्व स्तर से 22 प्रतिशत अधिक रही, जबकि दोपहिया वाहनों की कुल बिक्री कोरोना से पहले के स्तर के 94 प्रतिशत और मोटरसाइकिलों की 90 प्रतिशत रही।
वित्त वर्ष 2030 तक प्रीमियम मोटरसाइकिलों की बाजार हिस्सेदारी लगभग 22 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह सुधार अनुकूल व्यापक आर्थिक रुझानों, बढ़ती प्रयोज्य आय, उपभोक्ताओं के बढ़ते वैश्विक संपर्क और युवा जनसांख्यिकी पर निर्भर करेगा।
क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा ने कहा, प्रीमियम मोटरसाइकिलों की मांग में वृद्धि का एक कारण इन उत्पादों के प्रति बढ़ती पसंद है, जो अच्छी आय वाले खरीदारों द्वारा महामारी के दौरान भी अपनी क्रय शक्ति बनाए रखने में सहायक रहे हैं। आपूर्ति पक्ष की बात करें तो, उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध विकल्पों की विस्तृत श्रृंखला इसका एक बड़ा कारण है।
उन्होंने आगे कहा, प्रीमियम सेगमेंट में उपलब्ध मोटरसाइकिल मॉडलों की संख्या पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 35 हो गई, जो वित्त वर्ष 2019 में 23 थी। हमारा अनुमान है कि ये रुझान अगले पांच वर्षों तक जारी रहेंगे।
दूसरी ओर, इकॉनमी मोटरसाइकिलों की बाजार हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष में घटकर 46 प्रतिशत रह गई, जो वित्त वर्ष 2019 में 62 प्रतिशत थी। इसकी बिक्री मात्रा 84 लाख यूनिट से घटकर 56 लाख यूनिट रह गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर ग्रामीण मांग और कीमतों में वृद्धि है।
क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक मोहित अदनानी ने कहा, कमजोर ग्रामीण मांग एंट्री-लेवल मोटरसाइकिलों के लिए एक बड़ी बाधा है। भारत स्टेज (बीएस) IV से बीएस VI मानकों में बदलाव, सुरक्षा मानदंडों के कार्यान्वयन और कमोडिटी सुपर साइकिल के कारण लागत में वृद्धि को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए इकोनॉमी मॉडलों की कीमतों में 65-70 प्रतिशत की भारी वृद्धि के बावजूद ग्रामीण आय में वृद्धि नहीं हुई है। इस प्रकार, इन मोटरसाइकिलों की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में महामारी-पूर्व स्तर के केवल 67 प्रतिशत तक ही पहुंच पाई।
--आईएएनएस
एसकेटी/
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