अमेरिका में आसमान छू रहा मखाना, 25 ग्राम का दाम चार डॉलर

अमेरिका में आसमान छू रहा मखाना, 25 ग्राम का दाम चार डॉलर

अमेरिका में आसमान छू रहा मखाना, 25 ग्राम का दाम चार डॉलर

author-image
IANS
New Update
Patna: Shivraj Singh Chouhan Visits Makhana Mahotsav

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। आज के समय में मखाना एक सुपरफूड बन चुका है। भारत में ही नहीं, बल्कि देश के बाहर भी मखाना की डिमांड काफी ज्यादा है। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि अमेरिका में मखाना (फॉक्सनट) की कीमतों में हाल के महीनों में भारी उछाल देखा गया है।

Advertisment

बताया गया कि करीब 25 ग्राम मखाने का पैक, जो पहले 2 डॉलर में मिलता था, अब बढ़कर 4 डॉलर तक पहुंच गया है। इसकी बड़ी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए भारी टैरिफ बताए जा रहे हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं का घरेलू बजट प्रभावित हुआ है।

अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के चलते अमेरिका को होने वाला निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई भारतीय निर्यातकों की अमेरिका भेजी जाने वाली खेप में करीब 40 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय मखाना निर्यातकों ने इस संकट के बीच वैकल्पिक बाजार तलाश लिए हैं। अमेरिका में रह रहे भारत (कोलकाता) के मूल निवासी एक व्यापारी ने बताया कि महामारी से पहले उनका मासिक किराना खर्च 500 डॉलर था, जो अब बढ़कर 900 डॉलर हो गया है, जिसमें मखाना जैसी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी अहम वजह है।

रिपोर्ट के अनुसार, संकट के बीच उम्मीद की एक किरण भी नजर आ रही है। भारतीय मखानों की मांग अब नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ रही है और देश के भीतर भी इस ‘सुपरफूड’ के प्रति रुचि बढ़ रही है। स्पेन और दक्षिण अफ्रीका जैसे नए बाजारों से मांग देखने को मिल रही है, जहां भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ-साथ मखाने के स्वास्थ्य लाभों को लेकर जागरूकता बढ़ी है।

वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 800 मीट्रिक टन मखाने का निर्यात जर्मनी, चीन, अमेरिका और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में किया। इसमें अकेले अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत रही।

शक्ति सुधा एग्रो वेंचर्स के सत्यजीत सिंह, जिनकी कंपनी भारत के कुल मखाना निर्यात का लगभग आधा हिस्सा नियंत्रित करती है, ने कहा, “यह क्षेत्र अभी शुरुआती दौर में है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुख्य रूप से भारतीय प्रवासियों तक सीमित है। इसमें अपार संभावनाएं हैं और घरेलू व विदेशी दोनों बाजारों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।”

इस बीच, केंद्र सरकार ने हाल ही में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की है, जिसके लिए शुरुआती तौर पर 1 अरब रुपये का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य मूल्य श्रृंखला को संगठित करना, प्रशिक्षण देना, गुणवत्ता नियमन और निर्यात को बढ़ावा देना है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक देश है और वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है। संसद को हाल ही में दी गई जानकारी के अनुसार, बिहार देश के मखाना उत्पादन की रीढ़ है, जहां से करीब 85 प्रतिशत राष्ट्रीय उत्पादन होता है। दरभंगा मखाना की खेती और प्रोसेसिंग का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।

--आईएएनएस

डीएससी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment