1990 कश्मीरी पंडित नर्स हत्या कांड : एसआईए ने श्रीनगर में 8 जगहों पर मारे छापे

1990 कश्मीरी पंडित नर्स हत्या कांड : एसआईए ने श्रीनगर में 8 जगहों पर मारे छापे

1990 कश्मीरी पंडित नर्स हत्या कांड : एसआईए ने श्रीनगर में 8 जगहों पर मारे छापे

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IANS
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J&K SIA raids 8 places in Srinagar in 1990 targeted killing of Kashmiri Pandit woman case

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

श्रीनगर, 12 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर की जांच एजेंसी (एसआईए) ने श्रीनगर में 8 जगहों पर छापे मारे हैं। यह कार्रवाई 1990 में हुई एक नर्स की हत्या के सिलसिले में की गई है। मंगलवार को जानकारी सामने आई कि एसआईए हत्या के मामले में श्रीनगर में अलग-अलग स्थानों पर कई छापे मार रही है।

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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सीआईडी की एसआईए ब्रांच टीम ने पुलिस और सीआरपीएफ के साथ मिलकर मंगलवार सुबह श्रीनगर के 8 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है।

27 वर्षीय सरला भट्ट कश्मीर के पंडित परिवार से ताल्लुक रखती थीं। वह अनंतनाग जिले की रहने वाली थीं और श्रीनगर शहर के सौरा इलाके में शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) में नर्स के रूप में कार्यरत थीं।

18 अप्रैल 1990 को एसकेआईएमएस हॉस्टल से उनका अपहरण हुआ था और अगले दिन, 19 अप्रैल को श्रीनगर शहर के मालबाग इलाके में उनका सड़क पर गोलियों से छलनी शव मिला। उस समय, श्रीनगर जिले के निगीन पुलिस स्टेशन में एफआईआर 56/1990 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था।

आरोप लगाए गए कि यह हत्या उस बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य कश्मीरी पंडित समुदाय को घाटी से बाहर भगाना था। उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसियों के एजेंट कहकर निशाना बनाया गया था। कथित तौर पर भय और प्रशासन की ओर से उनकी जान-माल की रक्षा करने में असमर्थता के कारण घाटी से लगभग पूरा कश्मीरी पंडित समुदाय अपने घर छोड़कर जान बचाने के लिए भागने पर मजबूर हुआ था।

पलायन के बाद कश्मीरी पंडितों ने भीषण गर्मी में टेंटों में शरण ली और अत्यंत दयनीय स्थिति में लगभग नए सिरे से जिंदगी शुरू की। इस बीच, उनकी ज्यादातर संपत्तियां या तो लूट ली गई थीं या जला दी गईं थीं। कुछ संपत्तियों पर जबरन कब्जा हो चुका था।

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ सालों में स्थिति नियंत्रित होने के बाद राज्य सरकार कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों को वापस दिलाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना चला रही है। हालांकि, सरकार के प्रयासों के बावजूद आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग को छोड़कर, अधिकांश कश्मीरी पंडित दूसरी जगहों पर शरणार्थी की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं।

--आईएएनएस

डीसीएच/

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