भाषणों और बयानों से आतंकवाद का महिमामंडन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा : एलजी मनोज सिन्हा

भाषणों और बयानों से आतंकवाद का महिमामंडन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा : एलजी मनोज सिन्हा

भाषणों और बयानों से आतंकवाद का महिमामंडन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा : एलजी मनोज सिन्हा

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IANS
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Baramulla: Manoj Sinha Hands Over Appointment Letters to Terror Victims' Families

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

श्रीनगर, 13 जुलाई (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि देश का संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भाषणों और बयानों के माध्यम से आतंकवाद का महिमामंडन करने वाले लोग बेखौफ घूम सकते हैं।

बारामूला शहर में आतंकवाद पीड़ितों को सरकारी नौकरी के आदेश सौंपते हुए एक सभा को संबोधित करते हुए, एलजी सिन्हा ने कहा, अगर कोई राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद का महिमामंडन करने की कोशिश करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि अब बहुत हो गया। कश्मीर ने बहुत खून-खराबा देखा है, और अब समय आ गया है कि उन लोगों की आंखों से आंसू पोंछे जाएं जिनका दर्द आतंकवाद के खतरे में भी नहीं सुना गया।

सिन्हा ने कहा, पहलगाम में 22 अप्रैल के कायराना हमले के बाद, कश्मीरियों द्वारा उस जघन्य कृत्य की खुद व्यापक निंदा ने मेरे मन में कोई संदेह नहीं छोड़ा है कि लोगों ने आतंकवाद का समर्थन करना छोड़ दिया है। साथ ही वे प्रगति, शिक्षा, शांति और बेहतर कल की आशा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में आतंकवाद पीड़ितों की 193 शिकायतें सामने आई हैं, जिनमें से कई 1990 के दशक से जुड़ी हैं। उन्होंने न्यायमूर्ति गंजू की हत्या और वंधामा गांदरबल नरसंहार का हवाला दिया।

उन्होंने खुलासा किया, 61 मामलों में, कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, जमीन और मुआवजा देने से इनकार कर दिया गया।

बाद में उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, इन परिवारों के बारे में सच्चाई जानबूझकर दबा दी गई। कोई भी उनके आंसू पोंछने नहीं आया। सभी जानते थे कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी क्रूर हत्याओं में शामिल थे, लेकिन किसी ने भी हजारों बुजुर्ग माता-पिता, पत्नियों, भाइयों या बहनों को न्याय नहीं दिलाया। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं कि इन परिवारों को वर्षों की पीड़ा के बाद न्याय, नौकरी, मान्यता और समर्थन मिले, जिसके वे हकदार हैं। यह जम्मू-कश्मीर के हजारों निर्दोष नागरिकों को आखिरकार मान्यता और सम्मान देने का एक ऐतिहासिक कदम है। प्रशासन अब उन सभी परिवारों के दरवाजे तक पहुंचेगा, जो दशकों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उनके लिए नौकरी, पुनर्वास और आजीविका की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

उन्होंने कहा, आतंकवाद पीड़ितों की शिकायत दर्ज करने के लिए जिलों में हेल्पलाइन स्थापित की गई हैं। हमें 90 के दशक से भी सैकड़ों शिकायतें मिल रही हैं। कई मामलों में, एफआईआर दर्ज नहीं की गईं, जमीनों पर अतिक्रमण किया गया और संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया। मैं लोगों को आश्वस्त करता हूं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यह केवल एक प्रशासनिक पहल नहीं है। यह एक नैतिक जिम्मेदारी है।

--आईएएनएस

एससीएच/एबीएम

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डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
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