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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। जापान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने गठिया (रूमेटाइड आर्थराइटिस) से जुड़ी एक नई अहम खोज की है। उन्होंने ऐसे छिपे हुए प्रतिरक्षा केंद्र (इम्यून हब्स) की पहचान की है जो जोड़ों को नुकसान पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली ही जोड़ों पर हमला करने लगती है। दुनिया भर में लाखों लोग इससे पीड़ित हैं। कई बार दवाइयां असर नहीं करतीं और करीब हर तीन में से एक मरीज को राहत नहीं मिल पाती। रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जो एडवांस लेवल पर जोड़ों में विकृतियां भी पैदा कर सकती है।
क्योटो यूनिवर्सिटी की टीम ने पाया है कि पेरिफेरल हेल्पर टी कोशिकाएं (टीपीएच कोशिकाएं), जो गठिया में एक अहम भूमिका निभाती हैं, दो रूपों में मौजूद होती हैं: स्टेम-लाइक टीपीएच कोशिकाएं: ये कोशिकाएं जोड़ों में सूजन वाले इम्यून हब जिन्हें टर्शियरी लिम्फोइड स्ट्रक्चर कहते हैं, में रहती हैं। यहां वे अपनी संख्या बढ़ाती हैं और बी कोशिकाओं को सक्रिय करती हैं।
इफेक्टोर टीपीएच कोशिकाएं: स्टेम-लाइक टीपीएच कोशिकाओं में से कुछ इफेक्टोर टीपीएच कोशिकाओं में बदल जाती हैं। ये हब से निकलकर सूजन पैदा करती हैं। यही कारण है कि कई मरीजों में इलाज के बावजूद सूजन बनी रहती है।
साइंस इम्यूनोलॉजी पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित शोधपत्र में टीम ने बताया कि अगर शुरुआत में ही इन स्टेम जैसी टीपीएच कोशिकाओं को टारगेट बनाया जाए तो बेहतर इलाज संभव हो सकता है। इससे मरीजों को लंबे समय तक राहत और जीवन की गुणवत्ता में सुधार मिल सकता है।
शोध में यह भी पाया गया कि स्टेम जैसी टीपीएच कोशिकाएं खुद को बार-बार नया बना सकती हैं और साथ ही इफेक्टर टीपीएच कोशिकाओं में बदल सकती हैं। यानी वे बीमारी की जड़ हो सकती हैं। कुल मिलाकर, इस अध्ययन से सूजे हुए जोड़ों के ऊतकों में दो प्रकार की टीपीएच कोशिकाओं की उपस्थिति का पता चला जिनकी अलग-अलग भूमिकाएं हैं। यह खोज गठिया के मरीजों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।
--आईएएनएस
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