नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की, जिसमें शशि थरूर और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। हालांकि, कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने इस बैठक को ‘महज औपचारिकता’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि इरादा यह दिखाने का था कि भारत में सभी राजनीतिक दल एकजुट हैं, जो हकीकत नहीं है।
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, मेरा मानना है कि यह महज औपचारिकता थी। इरादा यह दिखाने का था कि भारत में सभी राजनीतिक दल एकजुट हैं, जो हकीकत नहीं है। प्रतिनिधिमंडल ने विदेश से लौटने के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की, लेकिन कोई ठोस उपलब्धि नहीं बताई।
अनवर ने इसे कूटनीतिक असफलता बताया। उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करना और उसकी आतंकवाद में भूमिका उजागर करना था, लेकिन यह मिशन पूरा नहीं हुआ। उल्टा, पाकिस्तान को यूएनएससी में सह-अध्यक्ष बनाया गया और उसे विश्व बैंक तथा आईएमएफ जैसे संस्थानों से फंड मिले।
उन्होंने कहा कि भारत की कूटनीतिक कोशिशें वैश्विक नैरेटिव को बदलने में नाकाम रहीं। हमने प्रतिनिधिमंडल भेजा, ताकि पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बने, लेकिन कुछ नहीं बदला। यह अभ्यास रणनीतिक कम, औपचारिक ज्यादा रहा।
ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर तारिक अनवर ने कहा, हम लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। समझ नहीं आता कि प्रधानमंत्री इससे क्यों बच रहे हैं। यह एक बड़ी घटना थी, पहलगाम में आतंकी हमले में 26 निर्दोष भारतीयों की जान चली गई। फिर भी, हमलावर 300 किलोमीटर तक हमारी सीमा में घुस आए और अभी भी फरार हैं। उन्होंने हमला किया और भाग निकले। हमारी सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियां उन्हें पकड़ने में नाकाम रहीं। इतनी बड़ी सुरक्षा चूक की गहन जांच जरूरी है।
इस बीच, विपक्ष सरकार पर दबाव बढ़ा रहा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) सहित 16 दलों के नेताओं ने 3 जून को नई दिल्ली में बैठक की और प्रधानमंत्री मोदी को एक संयुक्त पत्र सौंपा, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और भारत की बदलती आतंकवाद-रोधी रणनीति पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की औपचारिक मांग की गई।
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