चेन्नई, 27 मई (आईएएनएस)। लेखकों के समूहों, कलाकारों और राजनीतिक नेताओं के बढ़ते विरोध को देखते हुए इंडो सिने एप्रिसिएशन फाउंडेशन (आईसीएएफ) ने इस हफ्ते चेन्नई में होने वाले इजरायली फिल्म फेस्टिवल 2025 को फिलहाल टाल दिया है।
गाजा में चल रहे युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर आम नागरिक मारे जा रहे हैं, ऐसे में कई लोग इजरायल से जुड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम करने का विरोध कर रहे हैं, जिसके चलते यह कदम उठाया गया।
इजरायली फिल्म फेस्टिवल 29 से 31 मई तक तमिलनाडु गवर्नमेंट म्यूजिक कॉलेज में आयोजित होने वाला था। लेकिन 26 मई को, तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (टीएनपीडब्ल्यूएए) ने कड़ा बयान जारी करते हुए आईसीएएफ से इस कार्यक्रम को पूरी तरह रद्द करने का आग्रह किया।
एसोसिएशन ने कहा, गाजा में इजरायल की सेना हमले कर रही है, ऐसे समय में इजरायल से जुड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना राजनीतिक संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है।
टीएनपीडब्ल्यूएए ने आगे कहा कि यह केवल एक फिल्म स्क्रीनिंग नहीं है, बल्कि एक ऐसा प्रतीकात्मक काम है जिसे इजरायली सरकार के समर्थन के रूप में देखा जा सकता है।
एसोसिएशन ने कहा, ऐसा कार्यक्रम करने से यह खतरा है कि दुनिया जिस चीज की निंदा कर रही है, उसे सामान्य और सही मान लिया जाएगा। तमिलनाडु की परंपरा हमेशा दुनिया भर में उत्पीड़ित लोगों के साथ खड़े होने की रही है।
एसोसिएशन ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि आईसीएएफ इजरायली फिल्म फेस्टिवल को चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसा दिखाने की कोशिश कर रहा है, जिसे राज्य सरकार से समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने पत्र में लिखा, इस तरह की तुलना करना गलत है और किसी भी हाल में स्वीकार नहीं की जा सकती।
तिरुवल्लूर से कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने भी इस फेस्टिवल का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि वो कला का सम्मान करते हैं, क्योंकि कला संवाद और संवेदना का माध्यम होती है, लेकिन जब दुनिया में मानवीय संकट हो, तब किसी भी चीज को तटस्थ बताना एक तरह से गलत काम में शामिल होना होता है।
उन्होंने कहा, इतिहास में कुछ पल ऐसे होते हैं जब चुप रहना भी गलत माना जाता है। जब लोग गहरी तकलीफ में हों, तब प्रतीकात्मक कामों का भी असर होता है।
उन्होंने कहा, गाजा पर लगातार हमले हो रहे हैं, बहुत सारे आम नागरिक मारे जा रहे हैं और वहां भारी मानवतावादी संकट है। ऐसे में इस समय यह फेस्टिवल करना लोगों को यह महसूस करा सकता है कि हम उनकी पीड़ा की परवाह नहीं करते या फिर अनजाने में उनका समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, यह कला को नकारना नहीं है। बल्कि यह हमारी संस्कृति से जुड़े कामों को सही और नैतिक सोच के साथ करने की बात है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत में इजरायली सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द किया गया है। पिछले साल अगस्त में भी, मुंबई के नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा में होने वाला इजरायली फिल्म फेस्टिवल जनता के विरोध के कारण नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने रद्द कर दिया था।
--आईएएनएस
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