मोहाली के वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी से बनाई नैनोपार्टिकल दवा, अल्जाइमर के लक्षणों पर करेगी एक साथ वार

मोहाली के वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी से बनाई नैनोपार्टिकल दवा, अल्जाइमर के लक्षणों पर करेगी एक साथ वार

मोहाली के वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी से बनाई नैनोपार्टिकल दवा, अल्जाइमर के लक्षणों पर करेगी एक साथ वार

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IANS
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INST researchers develop new nanoparticle-based multifunctional therapy for Alzheimer’s

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि मोहाली के इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर रोग (एडी) के इलाज के लिए नैनोपार्टिकल्स से जुड़ा एक नया तरीका खोजा है।

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यह दवा बीमारी को धीमा कर सकती है, याददाश्त बेहतर कर सकती है, और सोचने-समझने की क्षमता में मदद कर सकती है।

अल्जाइमर एक जटिल बीमारी है। इसमें दिमाग में प्रोटीन के गुच्छे बनते हैं, सूजन होती है, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है और दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं।

पुरानी दवाएं सिर्फ एक समस्या को ठीक करती हैं, इसलिए पूरा फायदा नहीं होता। नई थेरेपी में तीन चीजों को मिलाकर छोटे कण बनाए गए हैं: ग्रीन टी का एंटीऑक्सीडेंट (ईजीसीजी), दिमाग का केमिकल डोपामाइन (ईडीटीएनपी) और एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन।

इन कणों को और बेहतर बनाने के लिए बीडीएनएफ नाम का प्रोटीन जोड़ा गया है, जो दिमाग की कोशिकाओं को बढ़ने और जीवित रहने में मदद करता है। यह दवा एक साथ कई काम करती है। ये दिमाग में हानिकारक प्रोटीन के गुच्छों को तोड़ती है, फिर सूजन कम करती है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस घटाती है। जो दिमाग की कोशिकाओं को बचाती है और नई बनाने में मदद करती है।

डॉ. जिबन ज्योति पांडा के नेतृत्व वाली टीम (आईएनएसटी, डीएसटी का स्वायत्त संस्थान) ने यह शोध किया है। पांडा ने बताया, ब्रेन-डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (बीडीएनएफ) -- जो न्यूरॉन्स के जीवित रहने, बढ़ने और काम करने के लिए जरूरी एक प्रोटीन है -- को ईडीटीएनपी पर मिलाने से (बी- ईडीटीएनपी) एक ड्यूल-एक्शन नैनोप्लेटफॉर्म बनता है जो न केवल न्यूरोटॉक्सिक एमीलोइड बीटा एग्रीगेट्स (प्रोटीन के गुच्छे जो न्यूरल फंक्शन पर नकारात्मक असर डालते हैं) को साफ करता है, बल्कि न्यूरॉन रीजेनरेशन (फिर से बनने) में भी मदद करता है।

लैब टेस्ट और चूहों पर परीक्षण में यह दवा सफल रही। कंप्यूटर सिमुलेशन से भी पता चला कि ये कण हानिकारक प्रोटीन को अच्छी तरह तोड़ते हैं। एनआईपीईआर रायबरेली के डॉ. अशोक कुमार दतुसालिया और गुजरात बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी की डॉ. नीशा सिंह ने इस शोध में सहयोग दिया है, जो विश्व प्रसिद्ध जर्नल स्मॉल में छपा है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह नई खोज अल्जाइमर के मरीजों और उनके परिवारों के लिए बड़ी उम्मीद है। अभी यह शुरुआती स्टेज में है, आगे और टेस्ट होंगे।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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