भारत की रिन्यूएबल एनर्जी पहल का ध्यान स्पीड से हटकर सिस्टम की मजबूती पर हो रहा केंद्रित

भारत की रिन्यूएबल एनर्जी पहल का ध्यान स्पीड से हटकर सिस्टम की मजबूती पर हो रहा केंद्रित

भारत की रिन्यूएबल एनर्जी पहल का ध्यान स्पीड से हटकर सिस्टम की मजबूती पर हो रहा केंद्रित

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IANS
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India's renewable energy focus shifts from speed to system strength: Govt

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को दी गई जानकारी के अनुसार, भारत की रिन्यूएबल एनर्जी पहल, क्षमता में तीव्र वृद्धि से अलग एक मजबूत, डिस्पेचेबल और इंटीग्रेटेड सिस्टम को बनाने की ओर आगे बढ़ रही है।

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एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत अपने रिन्यूएबल एनर्जी ट्रांजिशन में क्षमता में तीव्र वृद्धि से हटकर सिस्टम को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रेस बयान में कहा गया है कि देश का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर अपने सिस्टम की मजबूती, स्थिरता और गहराई से परिभाषित होगा।

मंत्रालय के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता पांच गुना से भी अधिक बढ़ी है, जो 2014 में 35 गीगावाट से बढ़कर आज 197 गीगावाट से अधिक हो गई है और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल करने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही है।

बयान में कहा गया है, हम अब ग्रिड इंटीग्रेशन, एनर्जी स्टोरेज और बाजार सुधारों पर काम कर रहे हैं, जो 500 गीगावाट से अधिक के गैर-जीवाश्म भविष्य की वास्तविक नींव हैं।

40 गीगावाट से अधिक आवंटित परियोजनाएं बिजली खरीद समझौतों (पीपीए), बिजली आपूर्ति समझौतों (पीएसए) या ट्रांसमिशन अरेंजमेंट के पूरा होने के करीब हैं।

हाल ही में, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने क्रमशः 5.6 गीगावाट और 3.5 गीगावाट के टेंडर दिए हैं। इसके अतिरिक्त, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा 2025 में लगभग 6 गीगावाट जोड़ने का अनुमान है।

इस प्रकार, रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता वृद्धि कई माध्यमों से हो रही है।

प्रेस रिलीज में कहा गया है कि भारत वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद सालाना 15-25 गीगावाट नई रिन्यूएबल क्षमता जोड़ना जारी रखे हुए है। यह दर दुनिया में सबसे तेज दरों में से एक है।

इसके अलावा, जीएसटी स्ट्रक्चर और एएलएमएम प्रावधानों का पुनर्निर्धारण लागतों को स्थिर करने, मॉड्यूल विश्वसनीयता बढ़ाने और भारत के मैच्योर होते सोलर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम में पैमाने की दक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।

भारत के ग्रिड को 500 गीगावाट के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपए की ट्रांसमिशन योजना के माध्यम से पुनर्परिभाषित किया जा रहा है, जो रिन्यूएबल समृद्ध राज्यों को मांग केंद्रों से जोड़ेगा।

रिलीज में कहा गया है कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और नई उच्च क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनें 200 गीगावाट से अधिक क्षमता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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