भारत का कुल वस्त्र निर्यात 2030 तक होगा दोगुना, भारत-यूके व्यापार समझौता निभाएगा अहम भूमिका

भारत का कुल वस्त्र निर्यात 2030 तक होगा दोगुना, भारत-यूके व्यापार समझौता निभाएगा अहम भूमिका

भारत का कुल वस्त्र निर्यात 2030 तक होगा दोगुना, भारत-यूके व्यापार समझौता निभाएगा अहम भूमिका

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IANS
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India’s overall textile exports to double by 2030, India-UK trade pact is the key

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। भारत का कुल वस्त्र निर्यात 2030 तक दोगुना होने की उम्मीद है। इसमें भारत-यूके कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (सीईटीए) अहम भूमिका निभाएगा। यह जानकारी सरकार द्वारा मंगलवार को दी गई।

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वस्त्र मंत्रालय में सचिव नीलम शमी राव के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल लंदन में है। इस दौरान यह भारत-यूके के बीच साझेदारी को गहरा करने के लिए देश की टेक्सटाइल वैल्यू चेन की क्षमता को दिखाएगा।

प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) और अग्रणी निर्यातकों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

वस्त्र मंत्रालय के अनुसार, यात्रा के पहले दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें एक टेक्सटाइल रोड शो और हस्तशिल्प, हथकरघा एवं कालीन क्षेत्रों के खरीदारों और सोर्सिंग हाउसों के साथ क्षेत्रीय बैठकें शामिल थीं।

भारत ब्रिटेन का चौथा सबसे बड़ा वस्त्र निर्यातक है। 2024-25 में ब्रिटेन को वस्त्र निर्यात 2.16 अरब डॉलर रहा, जो ब्रिटेन के आयात का 6.6 प्रतिशत है।

यात्रा के दौरान, वस्त्र सचिव ने विरासत शिल्प कौशल, आधुनिक पैमाने, स्थिरता और पता लगाने की पहलों के अनूठे संयोजन के साथ ब्रिटेन के बाजार की सेवा करने की भारत की क्षमता का जिक्र किया।

उन्होंने वैश्विक उपभोक्ता अपेक्षाओं के अनुरूप मजबूत और पारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण पर भारत के फोकस पर जोर दिया।

ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम के. दोराईस्वामी ने भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया और द्विपक्षीय वस्त्र संबंधों को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-यूके कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (सीईटीए) दोनों देशों के लिए एक लाभदायक अवसर प्रदान करता है, जिससे वस्त्रों के क्षेत्र में व्यापार, निवेश और सहयोग में वृद्धि संभव होगी।

हस्तशिल्प, हथकरघा और कालीनों के क्षेत्र में ब्रिटेन के खरीदारों के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल की क्षेत्रीय बैठकों में जीआई-टैग वाले भारतीय उत्पादों, स्थिरता और पता लगाने योग्य उपायों और सीधे खरीदार-उत्पादक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

ब्रिटिश खरीदारों ने इस पहल का स्वागत किया और भारत से आपूर्ति बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा से बाजार पहुंच में वृद्धि, संयुक्त निवेश को बढ़ावा और ब्रिटेन में भारतीय वस्त्रों की ब्रांड स्थिति को मजबूत करने की उम्मीद है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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