भारत का संगठित गोल्ड लोन मार्केट चालू वित्त वर्ष में 15 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद : रिपोर्ट

भारत का संगठित गोल्ड लोन मार्केट चालू वित्त वर्ष में 15 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद : रिपोर्ट

भारत का संगठित गोल्ड लोन मार्केट चालू वित्त वर्ष में 15 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद : रिपोर्ट

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IANS
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Hyderabad: Shopkeeper arranges gold ornaments

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत का संगठित गोल्ड लोन मार्केट चालू वित्त वर्ष में 15 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह लक्ष्य पहले के अनुमानों से एक वर्ष पहले ही प्राप्त किया जा सकता है। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

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इसके अलावा, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की बढ़ती कीमतों के कारण वित्त वर्ष 27 तक बाजार के 18 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ने का अनुमान है।

आईसीआरए लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग्स आईसीआरए ए.एम. कार्तिक ने कहा कि असुरक्षित ऋणों की वृद्धि में सुस्ती ने भी एनबीएफसी द्वारा प्रबंधित स्वर्ण ऋण परिसंपत्तियों में वृद्धि में योगदान दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2026 में एनबीएफसी स्वर्ण ऋण एयूएम में 30-35 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिसे इस क्षेत्र में प्लेयर्स द्वारा डायवर्सिफिकेशन और देश में अनुमानित पर्याप्त फ्री-गोल्ड होल्ड से भी बल मिलेगा।

वित्त वर्ष 2025 के दौरान स्वर्ण ऋण लगभग 26 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़े और मार्च 2025 तक 11.8 ट्रिलियन रुपए हो गए, जबकि बैंकों ने एनबीएफसी की तुलना में थोड़ी अधिक विस्तार दर दिखाई।

आईसीआरए ने कहा कि कुल स्वर्ण ऋणों में 82 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ बैंक प्रमुख प्लेयर बने हुए हैं, शेष में एनबीएफसी का योगदान है।

कुल स्वर्ण ऋणों में वृद्धि मुख्य रूप से कृषि और स्वर्ण आभूषणों द्वारा सुरक्षित अन्य ऋणों से प्रेरित थी, जो बैंकों द्वारा दिए गए थे। हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में इस सेगमेंटल ग्रोथ में महत्वपूर्ण रूप से कमी आई क्योंकि बैंकों ने कड़े पात्रता मानदंड लागू किए और इनमें से कुछ ऋणों को खुदरा या व्यक्तिगत श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत किया।

कार्तिक ने बताया, स्वर्ण ऋणों पर केंद्रित एनबीएफसी अपनी मजबूत ऋण वितरण क्षमता को बनाए रखते हैं, जिसे बेहतर परिचालन क्षमता और मध्यम ऋण घाटे का समर्थन प्राप्त है, जिससे उनकी शुद्ध आय बनी रहती है। फिर भी, नए प्रवेशकों और इस क्षेत्र में बैंकों के निरंतर विस्तार से प्रतिस्पर्धा की तीव्रता लगातार बढ़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार सहभागियों पर संभावित प्रतिफल दबाव बढ़ रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि परिणामस्वरूप, इन कंपनियों के लिए ऐसे प्रतिफल दबावों के विरुद्ध पर्याप्त बफर के लिए परिचालन दक्षता में निरंतर वृद्धि महत्वपूर्ण होगी।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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