भारत का न्यूक्लियर एनर्जी उत्पादन ऑल-टाइम हाई पर पहुंचा

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भारत का न्यूक्लियर एनर्जी उत्पादन ऑल-टाइम हाई पर पहुंचा

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IANS
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Kudankulam: Kudankulam Nuclear Power Plant synchronised with the southern power grid

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत के न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक के सबसे अधिक 56,681 मिलियन यूनिट्स इलेक्ट्रिसिटी का उत्पादन किया है। इससे 49 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिली है। यह जानकारी परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा साल के अंत में जारी किए जाने वाले रिव्यू में दी गई।

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सरकार ने कहा कि अब तक एक वर्ष से अधिक समय तक निरंतर संचालन का रिकॉर्ड 53 बार दर्ज किया गया है, जिसमें तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन (टीएपीएस) ने अपने पिछले रिकॉर्ड 521 दिनों को पार कर लिया है और कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीपी) एक वर्ष से अधिक समय से संचालित हो रहा है।

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) परमाणु ऊर्जा उत्पादन, परमाणु ऊर्जा के लिए क्षमता निर्माण, रेडियो-आइसोटोप और रेडियो-फार्मास्युटिकल उत्पादन के लिए अनुसंधान रिएक्टरों और कण त्वरक के निर्माण और संचालन, स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य सुरक्षा, जल और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए विकिरण प्रौद्योगिकी समाधानों के अनुप्रयोग के अपने जनादेश को पूरा करना जारी रखे हुए हैं।

इस वर्ष सितंबर में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के माही बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला रखी, जिसमें चार इकाइयां होंगी। इसे एनपीसीआईएल-एनटीपीसी संयुक्त उद्यम द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसका नाम अश्विनी है।

एनपीसीआईएल ने अपने पूरे परिचालन इतिहास में पहली बार एक वित्तीय वर्ष में 50 अरब यूनिट (बीयू) बिजली उत्पादन का मील का पत्थर पार किया। सरकार के अनुसार, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) ने 2032 तक नियोजित 22.5 गीगावाट क्षमता के अतिरिक्त 700 मेगावाट क्षमता वाले 10 अतिरिक्त पीएचडब्ल्यू इकाइयों के लिए पूर्व-परियोजना गतिविधियों को मंजूरी दे दी है।

बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित 150 बिस्तरों वाले होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने इसी वर्ष किया।

स्वदेशी रूप से विकसित प्रमाणित संदर्भ सामग्री (सीआरएम) फेरोकार्बोनेटाइट (एफसी) - (बीएआरसी बी1401) को इसी वर्ष औपचारिक रूप से जारी किया गया, जो भारत में अपनी तरह की पहली और विश्व में चौथी है और दुर्लभ कच्चे तेलों (आरईई) के अयस्क खनन के लिए महत्वपूर्ण है।

डीएई ने तालचर में पहला इलेक्ट्रॉनिक्स-ग्रेड (99.8 प्रतिशत शुद्धता) बोरोन-11 संवर्धन संयंत्र स्थापित किया है, जो अर्धचालक अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त है।

न्यूक्लियर फ्यूल कॉम्प्लेक्स (एनएफसी) ने उच्च अवशिष्ट प्रतिरोधकता अनुपात वाले नायोबियम इनगोट्स और शीट्स के उत्पादन की तकनीक सफलतापूर्वक विकसित कर ली है। यह सामग्री कई उन्नत त्वरक कार्यक्रमों के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण सामग्री है और इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के लिए सामग्री अनुसंधान में भारत की क्षमताओं को मजबूत करना है।

आंतरिक सुरक्षा की दिशा में, ईसीआईएल ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर खतरों से सुरक्षा के लिए रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) प्रणाली को सफलतापूर्वक विकसित, एकीकृत और स्थापित किया है। साथ ही, दुश्मन के विमानों/ड्रोन से बहु-दिशात्मक हमलों से 360 डिग्री तक मुकाबला करने में सक्षम आकाश-प्राइम प्रणाली के पहले उत्पादन मॉड्यूल को भी एकीकृत किया गया है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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