भारत के पशुपालन क्षेत्र ने 12.77 प्रतिशत की सीएजीआर की दर्ज, देश की अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत का योगदान : राजीव रंजन सिंह

भारत के पशुपालन क्षेत्र ने 12.77 प्रतिशत की सीएजीआर की दर्ज, देश की अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत का योगदान : राजीव रंजन सिंह

भारत के पशुपालन क्षेत्र ने 12.77 प्रतिशत की सीएजीआर की दर्ज, देश की अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत का योगदान : राजीव रंजन सिंह

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IANS
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भारत के पशुपालन क्षेत्र ने 12.77 प्रतिशत की सीएजीआर की दर्ज, देश की अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत का योगदान : राजीव रंजन सिंह

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत के पशुपालन क्षेत्र ने 12.77 प्रतिशत की प्रभावशाली सीएजीआर दर्ज की है, जो कि एग्रीकल्चर ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) में 31 प्रतिशत और देश की अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत का योगदान देता है।

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उन्होंने आगे कहा कि भारत की पहचान आज दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश के रूप में होती है, जिसका वार्षिक उत्पादन 239 मिलियन टन है और यह वैश्विक उत्पादन में लगभग एक-चौथाई का योगदान देता है। इसके अलावा, भारत अंडों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है।

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने रोम में फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गाइजेशन (एफएओ) में सस्टेनेबल लाइवस्टॉक ट्रांसफोर्मेशन पर दूसरी ग्लोबल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारत की किसान-केंद्रित पहलों, इनोवेशन और परिवर्तनों पर प्रकाश डाला।

केंद्रीय मंत्री ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने, आजीविका को मजबूत करने और गरीबी हटाने के लिए कई परिवर्तनकारी पहल की हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से देश के कल्याणकारी उपायों ने 269 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है। विश्व बैंक की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, यह दर 27.1 प्रतिशत से से घटकर अब 5.3 प्रतिशत रह गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लगभग दो-तिहाई ग्रामीण परिवारों और लाखों छोटे और सीमांत किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान करने में पशुधन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

उन्होंने पशुधन क्षेत्र में भारत द्वारा की गई प्रमुख पहलों को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से, भारत देशी मवेशियों की नस्लों का संरक्षण और आनुवंशिक विविधता में सुधार कर रहा है। इसका 92 मिलियन से अधिक पशुओं को लाभ हुआ है और 56 मिलियन से अधिक किसानों को सहायता मिली है।

उन्होंने बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा पशुधन टीकाकरण कार्यक्रम चलाता है, जिसमें प्रमुख बीमारियों से निपटने के लिए हर वर्ष 1.2 अरब से अधिक खुराकें दी जाती हैं और देश उच्च गुणवत्ता वाले टीकों के उत्पादन और निर्यात का एक ग्लोबल हब है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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