नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफआईईओ) ने मंगलवार को कहा कि वित्त वर्ष 2026 के अंत तक देश का निर्यात 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
इसमें व्यापारिक निर्यात 525-535 बिलियन डॉलर होगा, जो पिछले वित्त वर्ष से लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी तरह सेवा निर्यात 465-475 बिलियन डॉलर होगा, जो लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
भारत के निर्यात क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2024-25 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जिसमें कुल निर्यात रिकॉर्ड 824.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष के 778.1 बिलियन डॉलर से 6.01 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
आईटी, व्यापार, वित्तीय और यात्रा से जुड़ी सेवाओं में मजबूत प्रदर्शन के कारण वित्त वर्ष 2025 में सेवा निर्यात 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 बिलियन डॉलर हो गया।
व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात 437.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि गैर-पेट्रोलियम वस्तुओं का निर्यात रिकॉर्ड 374.1 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है।
एफआईईओ के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा कि इस गति को बनाए रखने और वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में निरंतर वृद्धि हासिल करने के लिए कुछ रणनीतियों की सिफारिश की जाती है।
एफआईईओ ने कहा, उभरते बाजारों में विस्तार करना और मौजूदा भागीदारों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना विशिष्ट क्षेत्रों पर अत्यधिक निर्भरता से जुड़े जोखिमों को कम कर सकता है। साथ ही, कच्चे माल से वैल्यू-एडेड उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने से निर्यात आय में वृद्धि हो सकती है।
प्रमुख भागीदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर बातचीत और कार्यान्वयन से बाजार तक आसान पहुंच की सुविधा मिल सकती है और व्यापार बाधाओं को कम किया जा सकता है, जबकि गुणवत्ता वाले इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने से भारतीय निर्यात में प्रतिस्पर्धा की क्षमता में सुधार होगा।
एफआईईओ के अनुसार, एसएमई को वित्त और बाजार की जानकारी तक पहुंच प्रदान करने से वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अधिक प्रभावी ढंग से भाग ले सकेंगे।
2025 में वैश्विक व्यापार परिदृश्य में संरक्षणवादी नीतियों का पुनरुत्थान देखने को मिलेगा, जो पिछले दशकों के उदारीकरण के रुझानों से एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
यह संरक्षणवाद बढ़े हुए टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) और रणनीतिक व्यापार उपायों के माध्यम से प्रकट होता है, जो वैश्विक वाणिज्य और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है।
भारतीय निर्यातकों को यह पक्का करना होगा कि उनके सामान की पूरी सप्लाई चेन का पता लगाया जा सके। अभी कपड़ा, चमड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कई पुराने उद्योगों में इसकी कमी है।
एफआईईओ ने कहा, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह डीपीपी जरूरतों की स्टडी करने, अनुपालन रोडमैप बनाने और एक नेशनल फ्रेमवर्क या डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट टास्क फोर्स बनाए, जो निर्यातकों को कुशलतापूर्वक डीपीपी बनाने में मदद कर सके।
--आईएएनएस
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