भारत में तेजी से बढ़ रही 'क्रिएटर इकोनॉमी', 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान : रिपोर्ट

भारत में तेजी से बढ़ रही 'क्रिएटर इकोनॉमी', 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान : रिपोर्ट

भारत में तेजी से बढ़ रही 'क्रिएटर इकोनॉमी', 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान : रिपोर्ट

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IANS
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India’s creator economy to drive over $1 trillion in annual consumer spending by 2030

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में 20 से 25 लाख डिजिटल क्रिएटर्स (ऑनलाइन कंटेंट बनाने वाले लोग) हैं, जो 30 प्रतिशत से ज्यादा उपभोक्ताओं को यह तय करने में मदद करते हैं कि वे कौन-सी चीज खरीदें।

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मंगलवार को जारी बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह तेजी से बढ़ती हुई क्रिएटर इकोनॉमी पहले से ही अनुमानित 350-400 अरब डॉलर (करीब 31.15-35.6 लाख करोड़ रुपए) के सालाना खर्च को प्रभावित कर रही है और 2030 तक इसके 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 89 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा खर्च पर असर डालने का अनुमान है।

पहले क्रिएटर्स का काम सिर्फ इन्फ्लुएंसर कैम्पेन्स (जैसे सोशल मीडिया पर प्रचार करना) तक सीमित था, लेकिन अब ये लोग कैसे लोग उत्पाद खरीदते हैं, इसका मुख्य हिस्सा बन गए हैं। ये क्रिएटर फैशन, सौंदर्य, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोजमर्रा की चीजों जैसे कई प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि 60 प्रतिशत लोग नियमित रूप से क्रिएटर्स के वीडियो और पोस्ट देखते हैं। इनमें से 30 प्रतिशत लोग मानते हैं कि उनकी खरीदारी का फैसला क्रिएटर की सलाह से होता है। इसका मतलब यह है कि अब लोग पुराने तरीकों से विज्ञापन देखकर नहीं, बल्कि क्रिएटर्स की सलाह पर चीजें खरीद रहे हैं।

बीसीज की मार्केटिंग, सेल्स और प्राइसिंग प्रैक्टिस की इंडिया लीडर पारुल बजाज ने कहा, “भारत में क्रिएटर इकोनॉमी अब एक नया मोड़ ले चुकी है। अब ये इन्फ्लुएंसर केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं हैं, बल्कि 20-25 लाख क्रिएटर्स 30 प्रतिशत खरीदारी फैसलों को प्रभावित करते हैं और 350-400 अरब डॉलर के सालाना खर्च को प्रभावित कर रहे हैं।

पारुल बजाज ने कहा कि जो कंपनियां क्रिएटर्स को अपने लंबे समय तक पार्टनर के रूप में देखेंगी और उनके साथ मिलकर काम करेंगी, वही अगले दशक में भारत के डिजिटल विकास का फायदा उठाने में सफल होंगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनियों को अब सिर्फ एक बार के प्रचार की बजाय लंबे समय तक क्रिएटर्स के साथ साझेदारी करनी चाहिए। इससे उनके उत्पाद को अधिक लोग जानेंगे और खरीदी बढ़ेगी।

--आईएएनएस

डीबीपी/एबीएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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