ड्रग-रेसिस्टेंट फंगस बेहद खतरनाक, तेजी से पसार रहा पैर: भारतीय वैज्ञानिकों की रिपोर्ट

ड्रग-रेसिस्टेंट फंगस बेहद खतरनाक, तेजी से पसार रहा पैर: भारतीय वैज्ञानिकों की रिपोर्ट

ड्रग-रेसिस्टेंट फंगस बेहद खतरनाक, तेजी से पसार रहा पैर: भारतीय वैज्ञानिकों की रिपोर्ट

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IANS
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Indian study shows drug-resistant fungus turning more deadly, spreading globally

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। फंगस की एक प्रजाति कैंडिडा ऑरिस खतरनाक रूप लेती जा रही है। भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि ये दुनिया में तेज गति से अपने पैर पसार रही है।

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कैंडिडा ऑरिस एक मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट फंगल पैथोजन है जिसमें इंसानी त्वचा पर बढ़ने और बने रहने की अनोखी क्षमता होती है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के शोधार्थियों ने अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ की टीम के साथ मिलकर यह स्टडी की। इसमें पता चला कि फंगल इन्फेक्शन तेजी से दुनिया भर में फैल रहे हैं और हर साल लगभग 6.5 मिलियन लोग इससे जूझ रहे हैं।

इसकी वजह से मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी हो रही है।

माइक्रोबायोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी रिव्यूज जर्नल में पब्लिश पेपर में टीम ने कहा, “सी. ऑरिस ने बने रहने के लिए चालाक सेलुलर स्ट्रेटेजी अपनाई है, ये यीस्ट बार-बार खुद को बदल रहा है, कोशिकाओं का एक समूह बना रहा है और बदलते माहौल के हिसाब से अपने फेनोटाइपिक जेनेटिक एक्सप्रेशन (देखे जाने वाले गुणों) में परिवर्तन कर रहा है।” यह फंगस इंसानी त्वचा पर कब्जा करने में भी कामयाब है; अब तक के मॉलिक्यूलर सबूतों से पता चला है कि सेल वॉल के प्रोटीन एक तरह के गोंद की तरह मैमल सेल्स से जुड़ जाते हैं—और उन सतहों पर भी जो नॉन लिविंग (निर्जीव) हैं।

सी. ऑरिस का लंबे समय तक त्वचा पर रहना एक बड़ी मेडिकल चिंता का विषय है। ये एक शरीर से दूसरे में तुरंत चिपक जाता है।

इसके अलावा, टीम ने कहा कि सी. ऑरिस मरीजों को गंभीर संक्रमण होने का खतरा भी होता है।

जबकि होस्ट सी. ऑरिस से लड़ने के लिए मैकेनिज्म डेवलप करता है। अब तक का साइंस बताता है कि रोगाणु प्रतिरोध से बचने के लिए सक्रिय तरीके अपनाता है।

डायग्नोसिस भी एक चुनौती बनी हुई है, क्योंकि ज्यादातर पारंपरिक लैब टेस्ट उतने सक्षम नहीं हैं, जिससे इलाज में देरी होती है।

अच्छी बात ये है कि इस नई मुसीबत के प्रति जागरूकता बढ़ रही है—और अब क्लिनिकल जरूरतों को पूरा करने के लिए रिसर्च बढ़ रहा है।

शोधार्थी लिखते हैं, कुल मिलाकर, यह डेटा इंसानों में फंगल पैथोजन्स के खिलाफ ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एक्टिविटी वाले नए एंटीफंगल एजेंट बनाने, डायग्नोस्टिक टेस्ट को बेहतर बनाने और अधिक रिस्क वाले मरीजों के इलाज के लिए इम्यून और वैक्सीन-आधारित सही तरीके अपनाने की जरूरत पर बल देता है।

स्टडी में फंगल बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बेहतर प्रणाली बनाने की भी बात कही गई है, खासकर उन देशों में जहां संसाधन सीमित हैं।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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