भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया 'ऑन्कोमार्क' एआई फ्रेमवर्क, ये कैंसर को पढ़ने में सक्षम

भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया 'ऑन्कोमार्क' एआई फ्रेमवर्क, ये कैंसर को पढ़ने में सक्षम

भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया 'ऑन्कोमार्क' एआई फ्रेमवर्क, ये कैंसर को पढ़ने में सक्षम

author-image
IANS
New Update
Indian scientists tap AI for personalised cancer therapy

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। एस एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) फ्रेमवर्क पेश किया है। ऐसा फ्रेमवर्क जो कैंसर के मॉलिक्यूलर “माइंड” को पढ़ने में सक्षम है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।

Advertisment

मंत्रालय ने कहा, “कैंसर सिर्फ बढ़ते ट्यूमर की बीमारी नहीं है -- यह कुछ छिपे हुए बायोलॉजिकल प्रोग्राम से चलता है जिन्हें कैंसर के हॉलमार्क कहा जाता है। ये हॉलमार्क बताते हैं कि हेल्दी सेल्स कैसे मैलिग्नेंट (घातक) बन जाते हैं: वे कैसे फैलते हैं, इम्यून सिस्टम को छकाते हुए इलाज से बच जाते हैं।”

हालांकि दशकों से, चिकित्सक टीएनएम (ट्यूमर, नोड्स और मेटास्टेसिस) जैसे स्टेजिंग सिस्टम पर भरोसा करते रहे हैं, जो ट्यूमर के आकार और तेजी से फैलने की गति को दर्शाते हैं। वे अक्सर गहरी मॉलिक्यूलर कहानी को समझने में चूक जाते हैं। उदाहरण के लिए, ये सोचने का विषय है कि आखिर “एक ही” कैंसर स्टेज वाले दो मरीजों के नतीजे बहुत अलग क्यों हो सकते हैं।

मंत्रालय ने कहा कि ऑन्कोमार्क नाम का नया एआई फ्रेमवर्क कैंसर के मॉलिक्यूलर “माइंड” को पढ़ सकता है और उसके बिहेवियर का अनुमान लगा सकता है।

एस.एन. बोस की टीम का नेतृत्व डॉ. शुभाशीष हलधर और डॉ. देबयान गुप्ता कर रहे हैं- ने 14 तरह के कैंसर में 31 लाख सिंगल सेल्स का विश्लेषण करने के लिए ऑन्कोमार्क का इस्तेमाल किया।

एस.एन. बोस, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) का एक स्वायत्तशासी संस्था है।

रिसर्च टीम ने कृत्रिम “स्यूडो-बायोप्सी” बनाईं जो हॉलमार्क ट्यूमर (मूलभूत कार्यात्मक गुण जो कैंसर कोशिकाओं को एक सामान्य कोशिका से अलग बनाते हैं) की स्थिति को दिखाती हैं।

इस बड़े डेटासेट से एआई को यह सीखने में मदद मिली कि मेटास्टेसिस, इम्यून इवेशन (जब प्रतिरक्षा प्रणाली किसी संक्रामक एजेंट के प्रति रिएक्ट करने में असमर्थ होती है) और जीनोमिक इनस्टेबिलिटी जैसे हॉलमार्क ट्यूमर के बढ़ने और थेरेपी रेजिस्टेंस (जारी इलाज के प्रति रिस्पॉन्स न करना) को बढ़ाने के लिए एक साथ कैसे काम करते हैं।

मंत्रालय ने कहा, “ऑन्कोमार्क, आंतरिक परीक्षण में 99 फीसदी से ज्यादा सटीक रहा और पांच अलग-अलग ग्रुप में इसका नतीजा 96 फीसदी से ऊपर रहा। इसे आठ बड़े डेटासेट के 20,000 मरीजों के सैंपल पर जांचा परखा गया। पहली बार, साइंटिस्ट असल में यह देख पाए कि कैंसर स्टेज बढ़ने के साथ हॉलमार्क एक्टिविटी कैसे बढ़ती है।”

नेचर जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में पब्लिश हुआ। इस नए फ्रेमवर्क ने बताया कि मरीज के ट्यूमर में कौन से हॉलमार्क एक्टिव हैं। यह डॉक्टरों को उन दवाओं की ओर गाइड कर सकता है जो सीधे उन प्रक्रियाओं को टारगेट करती हैं।

मंत्रालय ने कहा कि यह उन आक्रामक कैंसर की पहचान करने में भी मदद कर सकता है जो स्टैंडर्ड स्टेजिंग में कम नुकसानदायक लग सकते हैं, जिससे पहले इंटरवेंशन में मदद मिलती है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment