नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के ताजा अपडेट के अनुसार, भारत का फार्मास्यूटिकल्स निर्यात वित्त वर्ष 26 की अप्रैल-मई अवधि में सालाना आधार पर 7.38 प्रतिशत बढ़कर 4.9 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है।
फार्मेक्सिल वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत एक अधिकृत एक्सपोर्ट प्रमोशन एजेंसी है।
देश के फार्मा सेक्टर का बढ़ता हुआ निर्यात दिखाता है कि इंडस्ट्री के उत्पादों की वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ रही है।
फार्मेक्सिल ने कहा कि यह वृद्धि स्थायी विनिर्माण, वैश्विक बाजार में उपस्थिति में विस्तार और डिजिटल इनोवेशनों पर केंद्रित रणनीतिक पहलों के कारण आई है और साथ ही बताया कि ये प्रयास भारत के फार्मा उद्योग के लिए एक ट्रिलियन डॉलर के व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को मजबूत कर सकते हैं।
फार्मेक्सिल के चेयरमैन नमित जोशी ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा, भारत के फार्मास्यूटिकल निर्यात में सालाना आधार पर लगातार वृद्धि जारी है और निर्यात श्रेणी में ड्रग फॉरमुलेशंस और जैविक उत्पादों का वर्चस्व बना हुआ है।
जोशी ने आगे कहा,हम इस वृद्धि का श्रेय बढ़ती वैश्विक मांग, सुव्यवस्थित विनियामक अनुमोदन, टेक्नोलॉजीकल इनोवेशंस, रणनीतिक साझेदारियों और आर्थिक स्थिरता को देते हैं।
भारत के फार्मा निर्यात में मई में ड्रग फॉरमुलेशंस और जैविक उत्पादों की हिस्सेदारी 75.74 प्रतिशत रही है।
इसके अलावा कई फर्मा उत्पादों का निर्यात बढ़ा है।
मई में बल्क ड्रग्स और ड्रग इंटरमीडिएट के निर्यात में 4.40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वैक्सीन निर्यात 13.64 प्रतिशत बढ़कर 190.13 मिलियन डॉलर पहुंच गया है। सर्जिकल वस्तुओं और आयुष एवं हर्बल उत्पादों के निर्यात में क्रमश: 8.58 प्रतिशत और 7.36 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
फार्मेक्सिल के अनुसार, भारत के लगभग 76 प्रतिशत फार्मा निर्यात गंतव्यों में उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (एनएएफटीए) क्षेत्र, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका शामिल हैं।
जोशी के अनुसार, भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा। इससे आपूर्ति शृंखलाओं में वृद्धि होगी और सस्ती दवाओं तक पहुंच में सुधार होगा। यह विशेष रूप से अनुबंध विकास और विनिर्माण (सीडीएमओ) और संयुक्त अनुसंधान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को भी आकर्षित करेगा।
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