भारत-यूके सीईटीए से भारत के खनिज क्षेत्र को होगा लाभ

भारत-यूके सीईटीए से भारत के खनिज क्षेत्र को होगा लाभ

भारत-यूके सीईटीए से भारत के खनिज क्षेत्र को होगा लाभ

author-image
IANS
New Update
Buckinghamshire: India and UK Sign CETA

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। खान मंत्रालय के अनुसार, भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (सीईटीए) घरेलू खनिज क्षेत्र के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

Advertisment

खान मंत्रालय के सचिव वी.एल. कांता राव ने एफटीए भागीदार देश में बेहतर बाजार पहुंच और प्रतिस्पर्धात्मकता के संदर्भ में भारतीय खनिज क्षेत्र, विशेष रूप से एल्युमीनियम उद्योग के लिए अवसरों पर प्रकाश डाला।

सीईटीए प्रावधानों का बेहतर उपयोग करने के लिए उन्होंने रोड शो के माध्यम से ब्रिटेन में उत्पाद की मांग को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच आरएंडडी सहयोग के अवसरों का भी उल्लेख किया।

खान मंत्रालय ने भारत-ब्रिटेन सीईटीए से उत्पन्न होने वाले संभावित लाभों और अवसरों पर चर्चा करने हेतु भारतीय खनिज उद्योग को एक साथ लाने के उद्देश्य से एक वेबिनार का आयोजन किया।

इस वेबिनार में उद्योग जगत के 230 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।

एल्यूमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से वेदांता समूह के सीईओ (एल्यूमीनियम) राजीव कुमार ने भारत-यूके सीईटीए के बाद भारतीय एल्यूमीनियम उद्योग के लिए अवसरों पर एक प्रस्तुति दी।

नाल्को के सीएमडी बी.पी. सिंह, बाल्को के सीईओ राजेश कुमार, एफआईएमआई के डीजी बी.के. भाटिया और हिंडाल्को, एएसएमए तथा एमआरएआई के अन्य उद्योगपतियों ने अपने वक्तव्यों में इस व्यापार समझौते का स्वागत किया और उन तरीकों पर प्रकाश डाला, जिनसे भारतीय खनिज उद्योग, विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक एल्यूमीनियम क्षेत्र, यूके के बाजार में गति प्राप्त कर सकता है।

जेएनएआरडीडीसी के निदेशक डॉ. अनुपम अग्निहोत्री ने इस बारे में जानकारी साझा की कि अनुसंधान एवं विकास में संस्थागत सहयोग को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है।

भारत-यूके समझौते के तहत, भारत 90 प्रतिशत ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क में कटौती करेगा, जबकि यूके 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क कम करेगा।

विभिन्न क्षेत्रों में टैरिफ लाइनों और नियामक बाधाओं में इस महत्वपूर्ण ढील का उद्देश्य बाजार तक पहुंच बढ़ाना और दोनों पक्षों के व्यवसायों की लागत कम करना है।

भारतीय उपभोक्ताओं के लिए इस समझौते से स्कॉच व्हिस्की, जिन, लग्जरी कार, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों जैसी आयातित वस्तुओं की कीमतें कम होंगी।

भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र के निर्यातकों को शून्य शुल्क से लाभ होगा, जिससे बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देशों के मुकाबले उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

यह समझौता यह भी सुनिश्चित करता है कि भारतीय कृषि निर्यात को जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय निर्यातकों के साथ टैरिफ समानता प्राप्त हो, जिससे भारतीय किसानों को काफी लाभ होने की उम्मीद है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment