कनाडा में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व मनाया गया, भारतीय राजदूत चिन्मय नाइक रहे मौजूद

कनाडा में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व मनाया गया, भारतीय राजदूत चिन्मय नाइक रहे मौजूद

कनाडा में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व मनाया गया, भारतीय राजदूत चिन्मय नाइक रहे मौजूद

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IANS
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Parkash Purab of Guru Granth Sahib celebrated with zeal in Canada, Indian envoy highlights harmony teachings

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ओटावा, 2 सितंबर (आईएएनएस)। श्री गुरु रविदास सभा द्वारा कनाडा के मॉन्ट्रियल में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 421वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। इस आयोजन में वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने भाग लिया।

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पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पहली बार 1604 में स्थापित किया गया था और उसका लोकार्पण अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आदि ग्रंथ के रूप में किया गया था। इसी दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।

कनाडा में भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त चिन्मय नाइक ने इस समारोह में भाग लेते हुए सामुदायिक एकता और सद्भाव की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला।

कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग ने एक्स पर लिखा, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 421वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में मॉन्ट्रियल में श्री गुरु रविदास सभा द्वारा 31 अगस्त को आयोजित 17वें नगर कीर्तन में भाग लेते हुए, कार्यवाहक उच्चायुक्त चिन्मय नाइक ने सामुदायिक एकता और सद्भाव तथा अपने दैनिक जीवन में विनम्रता, करुणा और सेवा का अभ्यास करने की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला।

इस कार्यक्रम में पारंपरिक प्रार्थनाएं, कीर्तन और सामुदायिक भावना का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

मॉन्ट्रियल में हर साल श्री गुरु रविदास सभा द्वारा प्रकाश पर्व का आयोजन किया जाता है। आयोजित नगर कीर्तन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

प्रकाश पर्व का आयोजन ओटावा स्थित भारतीय मिशन द्वारा ओम मीडिया ग्रुप के सहयोग से आयोजित गणेश उत्सव समारोह के एक दिन बाद हुआ।

ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग ने एक्स पर लिखा, प्रथम सचिव तरुण कुमार ने 30 अगस्त 2025 को कनाडा के ओटावा में भारतीय उच्चायोग के सहयोग से ओम मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित गणेश उत्सव समारोह में भाग लिया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में प्रदर्शनों, पर्यटन प्रदर्शनियों, कला एवं शिल्प कार्यशालाओं, और हथकरघा, हस्तशिल्प एवं पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देने वाले स्टॉलों के माध्यम से महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया।

--आईएएनएस

पीएके/जीकेटी

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