भारतीय बैंक वैश्विक अनिश्चितता, टैरिफ और कमजोर होते रुपए से निपटने के लिए एक बेहतर स्थिति में : रिपोर्ट

भारतीय बैंक वैश्विक अनिश्चितता, टैरिफ और कमजोर होते रुपए से निपटने के लिए एक बेहतर स्थिति में : रिपोर्ट

भारतीय बैंक वैश्विक अनिश्चितता, टैरिफ और कमजोर होते रुपए से निपटने के लिए एक बेहतर स्थिति में : रिपोर्ट

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IANS
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Indian banks well-positioned to navigate global uncertainty, tariffs, and rate cuts: S&P Global

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बुधवार को एक रिपोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय बैंक वैश्विक अनिश्चितता, टैरिफ, ब्याज दरों में कटौती और कमजोर होते रुपए से निपटने के लिए एक मजबूत और अच्छी स्थिति में है।

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ग्लोबल रेटिंग फर्म ने कहा कि भारतीय कंपनियों की फाइनेंशियल मजबूती में सुधार हो रहा है।

भारतीय बैंकों की मजबूती में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में टैरिफ-हिट सेक्टर में उनका कम निवेश, कंपनियों का कर्ज कम करना और सुरक्षित खुदरा ऋण पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।

रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि हमें उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में एसेट क्वालिटी में नरमी आएगी, कमजोर ऋण 3.0-3.5 प्रतिशत पर बने रहेंगे और ऋण लागत 80-90 आधार अंक तक बढ़ जाएगी।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि तेज रिकवरी से मिलने वाली राहत कम होने और असुरक्षित खुदरा, 10 लाख रुपए से कम के एसएमई ऋण और माइक्रोफाइनेंस जैसे सेक्टर में स्ट्रेस के कारण ऋण लागत बढ़ेगी।

22 अगस्त तक, टैरिफ से प्रभावित कपड़ा और रत्न एवं आभूषण क्षेत्रों में भारतीय बैंकों का कुल ऋणों का केवल 2 प्रतिशत ही है।

ये सेक्टर उच्च ऋणभार और कम मार्जिन के कारण सबसे अधिक असुरक्षित हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक कंपनी पर पड़ने वाला प्रभाव प्रोडक्ट मिक्स, बिक्री स्थानों, प्रतिस्पर्धी लाभों और उनके स्वयं के ऋणभार जैसे कारकों पर निर्भर करेगा।

रुपए के अवमूल्यन से बैंकों को सीमित प्रत्यक्ष प्रभाव का सामना करना पड़ता है, जिसमें बाह्य उधारी केवल 5 प्रतिशत है। इसके अलावा, अप्रत्यक्ष प्रभाव भी न्यूनतम है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा, हमने 2,000 से अधिक भारतीय कंपनियों के क्रेडिट मॉडल स्कोर पर एशिया-प्रशांत कॉर्पोरेट डिफॉल्ट रेट्स को लागू किया। हमारे परिदृश्य विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय बैंक संभावित चूक को आसानी से सहन कर सकते हैं, जो उन्हें विकास के लिए तैयार बनाता है।

चुग ने आगे कहा, हमारे परिदृश्य विश्लेषण से पता चलता है कि कॉर्पोरेट ऋण में नए नॉन परफॉर्मिंग लोन (एनपीएल) का निर्माण अगले दो वर्षों में औसतन 1.1 प्रतिशत प्रति वर्ष होगा।

हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) और खुदरा क्षेत्रों में अधिक गिरावट के कारण नए एनपीएल निर्माण की समग्र दर 1.7-1.8 प्रतिशत होगी।

ऋणों के 3.6-3.7 प्रतिशत पर प्री-प्रोविजन ऑपरेटिंग प्रोफिट का अर्थ है कि भारतीय बैंक उच्च ऋण लागत को आसानी से वहन कर सकते हैं और उनकी आय कई क्षेत्रीय समकक्षों के बराबर या उनसे बेहतर रहेगी।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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