भारत-अमेरिका साझेदारी कई बदलावों और चुनौतियों से गुजरकर और मजबूत हुई: विदेश मंत्रालय

भारत-अमेरिका साझेदारी कई बदलावों और चुनौतियों से गुजरकर और मजबूत हुई: विदेश मंत्रालय

भारत-अमेरिका साझेदारी कई बदलावों और चुनौतियों से गुजरकर और मजबूत हुई: विदेश मंत्रालय

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IANS
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India, US share comprehensive global strategic partnership: MEA expresses confidence about relationship moving forward

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है, जो साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जनसंपर्क आधारित रिश्तों पर आधारित है। यह साझेदारी समय-समय पर हुए अनेक बदलावों और चुनौतियों का सामना करते हुए भी मजबूत बनी रही है, ऐसा बयान विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी किया।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “भारत और अमेरिका के बीच साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जनसंपर्क पर आधारित एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है। यह साझेदारी कई बदलावों और चुनौतियों से गुजर चुकी है। दोनों देश अपने ठोस एजेंडे पर केंद्रित हैं और हमें विश्वास है कि यह संबंध आगे भी प्रगति करेगा।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारत पर नए शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की है।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि भारत से आने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत का ‘पारस्परिक शुल्क’ लगाया जाएगा और रूस से ऊर्जा खरीद को लेकर एक अलग दंडात्मक शुल्क भी लगाया जाएगा, जो 1 अगस्त से प्रभावी होगा।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत 1 अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क देगा।” साथ ही उन्होंने यह कहा कि भारत को रूस से ऊर्जा खरीदने पर अतिरिक्त दंड भी भुगतना होगा।

ट्रंप ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में जब तक रूस युद्धविराम नहीं करता, तब तक जो देश रूस से ऊर्जा खरीदते रहेंगे, उन पर अमेरिका की ओर से 100 प्रतिशत तक का ‘सेकेंडरी टैरिफ’ लगाया जाएगा।

ट्रंप के इस कदम को विशेषज्ञों ने एक रणनीतिक दबाव के रूप में देखा है ताकि भारत को किसी समझौते के लिए प्रेरित किया जा सके, खासकर तब जब अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक जैसे अधिकारी यह संकेत दे चुके हैं कि भारत जल्द ही कोई व्यापारिक समझौता कर सकता है।

ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, “याद रखिए, भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने वर्षों से उनके साथ अपेक्षाकृत बहुत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ विश्व में सबसे अधिक हैं।”

उन्होंने कहा, “भारत ने हमेशा अपनी अधिकांश सैन्य खरीद रूस से की है और वह रूस से ऊर्जा खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीदार है। वह भी ऐसे समय में जब पूरी दुनिया चाहती है कि रूस यूक्रेन में नरसंहार बंद करे।”

--आईएएनएस

डीएससी/

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