नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस) । प्रमुख उद्योग विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 25.5 अरब पाउंड की वृद्धि होने का अनुमान है।
भारत और ब्रिटेन द्वारा अगले सप्ताह एफटीए पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिले।
इस एफटीए के तहत, दोनों देशों के बीच व्यापार किए जाने वाले 90 प्रतिशत सामानों पर टैरिफ में कमी का प्रावधान है।
ब्रिटिश उच्चायोग में दक्षिण एशिया के लिए उप व्यापार आयुक्त अन्ना शॉटबोल्ट के अनुसार, यह केवल टैरिफ के बारे में नहीं है, यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिससे कई उद्योगों को लाभ होगा।
उद्योग चैंबर पीएचडीसीसीआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शॉटबोल्ट ने कहा, क्रिएटिव कंपनियों को भी मजबूत कॉपीराइट सुरक्षा से लाभ होगा और सेवा क्षेत्र को भी लाभ होगा। डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस कन्वेंशन दोनों पक्षों के श्रमिकों के लिए भी मददगार होगा, जिससे अधिक पारदर्शिता और निश्चितता पैदा होगी।
पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव डॉ. रंजीत मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि यूके-भारत एफटीए वार्ता तब शुरू हुई थी जब भारत पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इस पर हस्ताक्षर के समय तक भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका था।
उन्होंने कहा, ब्रिटेन सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह एफटीए भारत के लिए एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता है।
उन्होंने यूके जाने वाले भारतीय पेशेवरों का समर्थन करने वाले सामाजिक सुरक्षा खंड के महत्व पर भी चर्चा की और कहा कि हमें इस एफटीए का लाभ उठाना चाहिए।
डॉ. मेहता ने कहा, पीएचडीसीसीआई अपने 120 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, इसलिए हम इस सितंबर में यूके में एक व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि हम इस समझौते से मिलने वाले अवसरों का पता लगाने के लिए उत्सुक हैं।
एफटीए चमड़ा, जूते और कपड़ों जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों के निर्यात पर कर हटाएगा, साथ ही ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता करेगा, जिससे 2030 तक दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार दोगुना हो जाएगा।
मेहता ने जोर देकर कहा, 2070 तक नेट जीरो के भारत के दृष्टिकोण के लिए व्यवसायों, विशेष रूप से एमएसएमई को सस्टेनेबल और तकनीकी रूप से सुसज्जित होना आवश्यक है। चाहे सेवाओं का क्षेत्र हो या उत्पादों का, भारत को यूके के साथ और अधिक सहयोग करना चाहिए, जो भारतीय एमएसएमई के लिए एक बड़ा बाज़ार प्रस्तुत करता है।
--आईएएनएस
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