भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से वस्तुओं के अलावा सेवा निर्यात को भी मिलेगा बढ़ावा

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से वस्तुओं के अलावा सेवा निर्यात को भी मिलेगा बढ़ावा

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से वस्तुओं के अलावा सेवा निर्यात को भी मिलेगा बढ़ावा

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IANS
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India-UK FTA goes beyond goods in big boost to services exports

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भारत की सेवा निर्यात क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। वर्तमान में भारत का यूके को सेवा निर्यात 19.8 अरब डॉलर का है। यह समझौता इसे और बढ़ाने का वादा करता है।

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यह समझौता न केवल वस्तुओं के व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में पेशेवरों की गतिशीलता को भी आसान बनाएगा।

सीईटीए के तहत कॉन्ट्रैक्ट आधारित सेवा प्रदाताओं, व्यापारिक आगंतुकों, कंपनी के भीतर स्थानांतरण करने वाले कर्मचारियों और स्वतंत्र पेशेवरों (जैसे योग प्रशिक्षक, शेफ, और संगीतकार) के लिए यूके में प्रवेश की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।

हर साल 1,800 भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकारों को यूके में काम करने का अवसर मिलेगा।

इसके अलावा, डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन (डीसीसी) एक बड़ा कदम है, जो अस्थायी कार्य के लिए यूके में रहने वाले 75,000 भारतीय कर्मचारियों और 900 से अधिक कंपनियों को तीन साल तक यूके की सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट देगा। इससे 4,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी।

यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) आईटी, वित्तीय और पेशेवर सेवाओं, व्यवसाय परामर्श, शिक्षा, दूरसंचार, वास्तुकला और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को कवर करता है, जिससे उच्च मूल्य के अवसर और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

यह समझौता छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), स्टार्टअप्स, किसानों और कारीगरों के लिए भी लाभकारी होगा। भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की अहम भूमिका को देखते हुए, यह समझौता इन क्षेत्रों में गहरे बाजार पहुंच की सुविधा देगा।

सीईटीए उत्पादों की उत्पत्ति के प्रमाणन को भी सरल बनाता है। निर्यातक अब स्व-प्रमाणन कर सकते हैं, जिससे समय और कागजी कार्रवाई कम होगी। 1,000 पाउंड से कम मूल्य के छोटे खेपों के लिए उत्पत्ति दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी, जो ई-कॉमर्स और छोटे व्यवसायों को समर्थन देगा।

उत्पाद-विशिष्ट उत्पत्ति नियम (पीएसआर) कपड़ा, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे क्षेत्रों में भारत की आपूर्ति श्रृंखला के अनुरूप हैं।

भारत और यूके के बीच द्विपक्षीय व्यापार पहले ही 56 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है और यह समझौता इसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखता है। भारत के 99 प्रतिशत निर्यात को यूके में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी, जिसमें कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण और खिलौने जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र शामिल हैं। साथ ही, इंजीनियरिंग, रसायन और ऑटोमोबाइल जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों को भी लाभ होगा।

--आईएएनएस

वीकेयू/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
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