एआई अपनाने में सबसे आगे भारतीय, 56 प्रतिशत यूजर जेनरेटिव एआई टूल्स का कर रहे इस्तेमाल : रिपोर्ट

एआई अपनाने में सबसे आगे भारतीय, 56 प्रतिशत यूजर जेनरेटिव एआई टूल्स का कर रहे इस्तेमाल : रिपोर्ट

एआई अपनाने में सबसे आगे भारतीय, 56 प्रतिशत यूजर जेनरेटिव एआई टूल्स का कर रहे इस्तेमाल : रिपोर्ट

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IANS
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India tops Asia Pacific in AI adoption with 56 pc of city adults using Gen AI: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बेंगलुरु, 16 सितंबर (आईएएनएस)। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अपनाने में अग्रणी बनकर उभरा है। मंगलवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष महानगरों के आधे से ज्यादा वयस्क सक्रिय रूप से जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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फॉरेस्टर द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि शहरों में रहने वाले 56 प्रतिशत भारतीय 2025 में जेनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो 2024 के 44 प्रतिशत से अधिक है, जिससे भारत इस क्षेत्र में अग्रणी बन गया है।

रिपोर्ट दर्शाती है कि भारतीय कंज्यूमर्स न केवल एआई को तेजी से अपना रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एआई को लेकर उनके ज्ञान का स्तर भी सबसे अधिक है।

लगभग 63 प्रतिशत भारतीय वयस्कों का कहना है कि वे एआई को बेहतर तरीके से समझते हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में यही आंकड़ा केवल 18 प्रतिशत और सिंगापुर में 26 प्रतिशत है।

केवल 5 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे एआई को नहीं समझते, जो दुनिया भर में सबसे कम प्रतिशत है।

अलग-अलग उम्र के समूहों में मिलेनियल्स को एआई को लेकर सबसे अधिक जानकारी है, जिसमें लगभग 69 प्रतिशत लोगों को एआई की गहरी समझ है।

हालांकि, रिसर्च में एक विश्वास विरोधाभास भी सामने आया है। जहां 45 प्रतिशत भारतीय एआई को समाज के लिए एक गंभीर खतरा मानते हैं, वहीं एआई को लेकर जानकारी रखने वाले करीब 66 प्रतिशत लोग मानते हैं कि एआई से मिलने वाली जानकारी पर भरोसा किया जा सकता है।

यह दर्शाता है कि एआई के बारे में अधिक जागरूकता किस प्रकार सावधानी और आत्मविश्वास दोनों लाती है।

उदाहरण के लिए, 64 प्रतिशत भारतीय कंज्यूमर एआई-पावर्ड लैंग्वेज ट्रांसलेशन सर्विस पर भरोसा करते हैं, जो कि ऑस्ट्रेलिया के 27 प्रतिशत और सिंगापुर के 38 प्रतिशत की तुलना में अधिक है।

एआई जोखिमों के प्रबंधन को लेकर भारतीय लंबे समय से स्थापित कंपनियों और बड़ी तकनीकी फर्मों पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं, जिनमें से 58 प्रतिशत इन कंपनियों पर भरोसा करते हैं।

बैंकों जैसे उच्च विनियमित संस्थानों पर भी काफी भरोसा किया जाता है। यह विश्वास स्तर ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर की तुलना में बहुत अधिक है, जहां निजी कंपनियां आमतौर पर कम भरोसा जगाती हैं।

फॉरेस्टर की प्रमुख विश्लेषक वसुप्रधा श्रीनिवासन ने कहा, भारत का एआई परिदृश्य हाई अडॉप्शन, बेहतर समझ और व्यावहारिक संशयवाद का एक महत्वपूर्ण संयोजन प्रस्तुत करता है।

श्रीनिवासन ने आगे कहा, भारतीय कंज्यूमर्स समझदार यूजर्स हैं, जो एआई की क्षमता और जोखिम दोनों को समझते हैं। इससे एक ऐसा वातावरण बनता है, जहां पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वसनीयता उद्यमों के लिए प्रतिस्पर्धी शक्तियां बन जाती हैं।

--आईएएनएस

एसकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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