भारत ने यूएनएससी में सुधार की वार्ता को बताया 'बेतुका', रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने को कहा

भारत ने यूएनएससी में सुधार की वार्ता को बताया 'बेतुका', रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने को कहा

भारत ने यूएनएससी में सुधार की वार्ता को बताया 'बेतुका', रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने को कहा

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IANS
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India ridicules mired UNSC reform as ‘theatre of the absurd’, calls for adoption of negotiating text

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

संयुक्त राष्ट्र, 19 नवंबर (आईएएनएस)। भारत समेत कई अन्य देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। वैश्विक मंचों पर कई बार इस मुद्दे को उठाया गया है। हालिया अपडेट में भारत ने यूएनएससी में सुधार के लिए लगभग दो दशक से चल रही निरर्थक वार्ता को हास्यास्पद नाटक बताया और एक रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा।

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दरअसल, भारत की उप-स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मंगलवार को यूएन में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) का हवाला देते हुए कहा, आईजीएन की शुरुआत के बाद से 17 वर्षों में एक बेतुके रंगमंच में तब्दील हो गया है।

उन्होंने परिषद सुधार पर महासभा की बैठक में कहा, सदस्य देश बयानों और चर्चाओं के कभी ना खत्म होने वाले ऐसे चक्र में फंसे हैं, जिनका कोई नतीजा नहीं निकलता।

योजना पटेल ने कहा कि सुधार प्रक्रिया में विश्वसनीयता लाने के लिए, भारत पारदर्शी लक्ष्यों और समय-सीमाओं के साथ सीखने पर आधारित वार्ताओं को शीघ्र शुरू करने का अपना आह्वान दोहराता है।

इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि आखिर यूएन में सुधार की प्रक्रिया आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही है, इसपर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने पूछा, क्या हम ठोस प्रगति हासिल करने के लिए ईमानदारी से काम करने को तैयार हैं, या हम इस अंतहीन चक्र में फंसे रहने के लिए अभिशप्त हैं?

पटेल ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि आईजीएन के नवनियुक्त सह-अध्यक्ष मौजूदा सत्र के दौरान चर्चाओं को ठोस परिणामों तक ले जा पाएंगे।

असेंबली अध्यक्ष अन्नालेना बेरबॉक ने कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि तारिक एम.ए.एम. अलबनाई और नीदरलैंड के लीसे ग्रेगोइरे-वान हारेन को आईजीएन का सह-अध्यक्ष नियुक्त किया है।

दरअसल, आईजीएन में प्रगति को उन देशों के एक छोटे समूह द्वारा अवरुद्ध किया जा रहा है जो खुद को यूनाइटेड फॉर कंसेंसस (यूएफसी) कहते हैं। यह समूह प्रतिक्रिया के नाम पर अलग-अलग हथकंडे अपनाता है ताकि वार्ता के मानदंडों को रेखांकित करने और प्रगति पर चर्चा को रोका जा सके।

इटली के नेतृत्व वाले और पाकिस्तान से युक्त इस समूह का प्राथमिक उद्देश्य परिषद में नए स्थायी सदस्यों को शामिल होने से रोकना है। इसे लेकर पटेल ने कहा, धैर्य और आम सहमति बनाने का आह्वान किया गया है, लेकिन आम सहमति, जब वीटो के रूप में दूसरे नाम से इस्तेमाल की जाती है, तो समावेशन का नहीं, बल्कि अवरोध का साधन बन जाती है।

उन्होंने कहा कि परिषद को अपनी संरचना में निहित ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए स्थायी सदस्यों को जोड़ना चाहिए, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों के लिए, न कि केवल अस्थायी सदस्यों के लिए।

पटेल ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्यों के लिए सीटें आवंटित करने के प्रस्तावों की आलोचना की। उन्होंने कहा, आस्था परिषद में पात्रता का निर्धारण मानदंड नहीं बन सकती।

भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान मिलकर जी4 बनाते हैं, जो एक ऐसा समूह है जो परिषद की स्थायी सदस्यता के विस्तार के लिए लंबे समय से कह रहा है और एक सुधारित परिषद में सीटों के लिए परस्पर समर्थन करता है।

जी4 की ओर से बोलते हुए, ब्राजील के स्थायी प्रतिनिधि सर्जियो फ्रैंका डैनीज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के बारे में व्यापक रूप से यह माना जाता है कि यह अप्रभावी है और इसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

इसलिए, उन्होंने कहा, सुधार एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता है। हमें बातचीत के बारे में बात करना बंद करके बातचीत शुरू करनी चाहिए।

--आईएएनएस

केके/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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