भारत को एआई में तेजी से आगे बढ़ना होगा: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय और इंडिया एआई मिशन के अभिषेक सिंह

भारत को एआई में तेजी से आगे बढ़ना होगा: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय और इंडिया एआई मिशन के अभिषेक सिंह

भारत को एआई में तेजी से आगे बढ़ना होगा: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय और इंडिया एआई मिशन के अभिषेक सिंह

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IANS
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India must catch up and leapfrog in AI: Abhishek Singh of MeitY & India AI Mission

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के कोर में एआई को लाने की तैयारी कर रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी और इंडिया एआई मिशन के सीईओ अभिषेक सिंह ने कहा कि यह बदलाव जरूरी होता जा रहा है, क्योंकि देश में एआई का इस्तेमाल घरेलू सिस्टम की बढ़ती क्षमता से अधिक तेजी से हो रहा है।

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यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब विदेशी एआई प्लेटफॉर्म बड़े पैमाने पर भारतीय डेटा पर ट्रेनिंग ले रहे हैं, जिससे उन जरूरी सेवाओं को आकार मिल सकता है जिन पर लाखों नागरिक निर्भर होंगे।

मिंट ऑल अबाउट एआई टेक4गुड अवॉर्ड्स में बोलते हुए, सिंह ने इंडस्ट्री लीडर्स और पॉलिसीमेकर्स से कहा कि भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने पहले ही गवर्नेंस को बदल दिया है, लेकिन अब आखिरी मील तक पहुंचने के लिए एआई की जरूरत है।

उन्होंने कहा, हमने दिखाया है कि टेक्नोलॉजी अच्छे गवर्नेंस के लिए क्या कर सकती है। और आगे कहा, अगला कदम यह पक्का करना है कि एआई इन सेवाओं को हर भारतीय भाषा में उपलब्ध कराए। सरकार का यह कदम वॉयस-ड्रिवन अप्रोच पर आधारित है।

सिंह ने कहा कि लोगों को ऐप्स या वेबसाइट पर जाने के बजाय, आसान, बोलकर पूछे गए सवालों के जरिए पब्लिक सर्विस मिलनी चाहिए। किसान अपनी मातृभाषा में टोल-फ्री लाइन से फसल की सलाह ले सकते हैं। ग्रामीण जिलों में माता-पिता क्लिनिक जाए बिना बेसिक मेडिकल जानकारी पा सकते हैं। जिन स्टूडेंट्स के पास काबिल टीचर नहीं हैं, वे अडैप्टिव एआई ट्यूटर से अपनी पढ़ाई को और बेहतर बना सकते हैं।

सिंह ने कहा कि ऐसी सर्विस के लिए एआई मॉडल को भारतीय डेटा पर बनाना चाहिए और भारत के भाषाई और सांस्कृतिक संदर्भ को समझने के लिए ट्रेन किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, इंसानी निगरानी जरूरी है। मॉडल भ्रम या गुमराह कर सकते हैं। हमें भारत के लिए इन्हें जिम्मेदारी से बनाना होगा।

एक बड़ी चिंता भारत में कंप्यूट की कमी है। जहां ग्लोबल कंपनियां मल्टी-गीगावाट जीपीयू क्लस्टर की ओर बढ़ रही हैं, वहीं भारत के पास उस पावर का एक छोटा सा हिस्सा ही है।

सिंह ने कहा कि हाल की कोशिशों ने घरेलू रिसर्चर्स को सब्सिडी वाली कीमतों पर हजारों जीपीयू उपलब्ध कराए हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर प्राइवेट और विदेशी इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करना अभी भी जरूरी है। भारत, स्वदेशी फाउंडेशन मॉडल बनाने वालों को फंडिंग कर रहा है और एआई रिजर्व को बढ़ा रहा है, जो डेटासेट और मॉडल का एक नेशनल रिपॉजिटरी है। सरकार सिस्टम में बायस, प्राइवेसी के मामलों और भरोसे को टेस्ट करने के लिए एक एआई सेफ्टी इंस्टीट्यूट भी बना रही है, जो जिम्मेदार एआई पर बढ़ते जोर को दिखाता है।

सिंह ने चेतावनी दी कि जैसे-जैसे जेनरेटिव एआई ऑटोमेशन को तेज करेगा, देश के वर्कफोर्स पर नए दबाव पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की सॉफ्टवेयर और आईटी सर्विस इंडस्ट्री, जो लंबे समय से कॉग्निटिव काम की ग्लोबल सप्लायर रही है, को जल्दी से अपस्किल करना होगा और देसी कोड जेनरेशन टूल्स डेवलप करने होंगे, ताकि पूरी तरह से विदेशी सिस्टम पर निर्भर न रहना पड़े। भारत फरवरी में एक एआई इम्पैक्ट समिट बुलाने का प्लान बना रहा है, जिसमें देश के हेड, ग्लोबल एआई एग्जीक्यूटिव और रिसर्चर के आने की उम्मीद है। मीटिंग में यह देखा जाएगा कि एआई उभरते बाजार की नौकरियों, क्लाइमेट रेजिलिएंस और प्रोडक्टिविटी पर कैसे असर डालेगा।

सिंह ने कहा कि भारत के लिए एआई एक मौका और एक स्ट्रेटेजिक टेस्ट दोनों दिखाता है। उन्होंने कहा, हमें बराबरी करने की जरूरत है, और हमें आगे बढ़ने की जरूरत है, और हमें यह पक्का करना होगा कि इसका फायदा सभी तक पहुंचे।

--आईएएनएस

एबीएस/

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