सप्लाई चेन फिर से हो रही तैयार, भारत के पास निर्यात बढ़ाने की गुंजाइश : रिपोर्ट

सप्लाई चेन फिर से हो रही तैयार, भारत के पास निर्यात बढ़ाने की गुंजाइश : रिपोर्ट

author-image
IANS
New Update
India has scope to grow exports as supply chains are changing: Report (Representational Image)

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। सप्लाई चेन फिर से तैयार हो रही है। इसी के साथ भारत के पास निर्यात बढ़ाने के अवसर देश के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। मिड-टेक लेबर-इंटेंसिव निर्यात बढ़ाने वाले कदम देश के व्यापार अंतर्संबंधों, बड़े पैमाने पर उपभोग, निवेश और जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा देने में कारगर साबित हो सकते हैं। यह जानकारी गुरुवार को जारी एचएसबीसी की रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आम धारणा है कि भारत ज्यादातर घरेलू मांग से प्रेरित अर्थव्यवस्था है, लेकिन दुनिया के साथ बढ़ते इंटीग्रेशन के दौर में भारत ने सबसे तेजी से विकास किया है।

रिपोर्ट भारत और विश्व जीडीपी वृद्धि के बीच ग्लोबल इंटीग्रेशन के माप के रूप में रोलिंग को-रिलेशन का इस्तेमाल करती है और पाती है कि 2000-2010 का दशक आयात शुल्क में गिरावट के साथ-साथ ग्लोबल इंटीग्रेशन, निर्यात हिस्सेदारी और जीडीपी वृद्धि का दौर था। अगले दशक, 2010-2020 में, यह सब बदल गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, टैरिफ बढ़ाए गए और वैश्विक ग्लोबल इंटीग्रेशन, निर्यात हिस्सेदारी और जीडीपी वृद्धि में गिरावट आ गई। उत्साहजनक रूप से, महामारी के बाद के कुछ वर्षों में ग्लोबल इंटीग्रेशन में एक बार फिर वृद्धि देखी गई, हालांकि अब तक यह अधिक फाइनेंशियल इंटीग्रेशन, कम ट्रेड इंटीग्रेशन के साथ थोड़ा एकतरफा बना हुआ है।

जीडीपी सेक्टर के विश्लेषण से पता चलता है कि खपत विश्व विकास के साथ सबसे अधिक 95 प्रतिशत इंटीग्रेटेड है, उसके बाद निवेश 70 प्रतिशत और फिर निर्यात 35 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा इंटीग्रेटेड है। एक कारण यह हो सकता है कि भारत के वैश्विक संबंध वित्त में मजबूत हैं और इसका उपभोग पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन, ट्रेड में इंटीग्रेशन कमजोर बना हुआ है, जो निर्यात और निवेश को प्रभावित करता है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कॉर्पोरेट निवेश वैश्विक रूप से अधिक इंटीग्रेटेड है, जबकि घरेलू निवेश के लिए इंटीग्रेशन कम है, जिसमें रियल एस्टेट और छोटी फर्मों द्वारा निवेश दोनों शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खपत के भीतर, विवेकाधीन खपत आवश्यक वस्तुओं की तुलना में वैश्विक रूप से अधिक जुड़ी हुई है, जबकि मजबूत फाइनेंशियल इंटीग्रेशन उच्च श्रेणी के उपभोक्ताओं का समर्थन करता है, जो वित्तीय बाजारों में बेहतर निवेश करते हैं।

निर्यात के भीतर, कमजोर इंटीग्रेशन का कारण अधिक लेबर-इंटेनसिव मिड-टेक एक्सपोर्ट (जैसे कपड़ा और खिलौने) है, जो एक दशक से सुस्त है।

एचएसबीसी रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग फाइनेंशियल इंटीग्रेशन के लाभों का आनंद लेने में सक्षम हैं, उनकी आय और विवेकाधीन खपत में वृद्धि देखी गई है। इनमें से कई व्यक्ति बड़ी फर्मों या नए क्षेत्रों (जैसे तेजी से बढ़ते पेशेवर सेवा निर्यात) से जुड़े हैं।

--आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम

Advertisment

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment