भारत ने पेट्रोल मिश्रण अभियान को बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु अतिरिक्त चावल आवंटित किया

भारत ने पेट्रोल मिश्रण अभियान को बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु अतिरिक्त चावल आवंटित किया

भारत ने पेट्रोल मिश्रण अभियान को बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु अतिरिक्त चावल आवंटित किया

author-image
IANS
New Update
India allocates excess rice for ethanol production to boost petrol blending drive

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। खाद्य मंत्रालय ने इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए चावल का आवंटन बढ़ाकर 5.2 मिलियन टन कर दिया है, एफसीआई के पास अतिरिक्त स्टॉक के कारण यह आवंटन बढ़ाया गया है, ताकि देश के पेट्रोल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने और तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सके।

इस कदम से शराब बनाने के लिए गन्ने का इस्तेमाल करने की जरूरत कम हो जाएगी, जिससे चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और चीनी की कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सकेगा।

फिलहाल, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास करीब 60 मिलियन टन चावल और धान का स्टॉक है, जो 13.5 मिलियन टन की बफर जरूरत से कहीं ज्यादा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अतिरिक्त स्टॉक के कारण भंडारण की समस्या भी पैदा होती है और जगह की कमी के कारण एफसीआई को अगले सीजन के लिए फसल खरीदना मुश्किल हो जाता है।

अनाज आधारित इथेनॉल निर्माता मुख्य रूप से मक्का को इनपुट के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे, और इससे मक्का की कीमतों में उछाल आया, जिसका पोल्ट्री किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि मक्का का उपयोग मुर्गियों के लिए फीडस्टॉक के रूप में किया जाता है।

उद्योग के सूत्रों के अनुसार, इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल के आवंटन में वृद्धि से मक्का की कीमतों को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा कि ई20 इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों - इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम - के सभी रिटेल आउटलेट्स पर वाहनों को ईंधन देने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।

मंत्री ने कहा कि भारत ने 2025 की शुरुआत में पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जो 2030 की मूल समय सीमा से छह साल पहले है, और यह स्वच्छ ईंधन की दिशा में देश की यात्रा में मजबूत प्रगति को दर्शाता है। मंत्री ने कहा, इस उपलब्धि से न केवल देश के कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, बल्कि भारी मात्रा में धन की भी बचत हुई है। इस प्रक्रिया में, हमने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है। आयात बिल के कारण 1.5 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बची है, और हमने इसे अपने किसानों को दिया है।

--आईएएनएस

जीकेटी/

Advertisment

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment