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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) विधेयक, 2025 में प्रस्तावित बदलाव बैंकों और कर्ज देने वालों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इन बदलावों से कर्ज की वसूली बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि अभी मामलों को सुलझाने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है।
सोमवार को जारी आईसीआरए की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईबीसी 2025 में समूह दिवालिया प्रक्रिया, विदेश से जुड़े दिवालिया मामले और कर्जदाताओं द्वारा शुरू की जाने वाली दिवालिया प्रक्रिया जैसे बदलाव शामिल हैं। इससे मामलों को जल्दी निपटाने में मदद मिल सकती है।
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और एनसीएलएटी में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और कानूनी सुधारों से अदालतों पर बोझ कम होगा।
रिपोर्ट का मानना है कि संसद में पेश किए गए आईबीसी संशोधन और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) और भारतीय दिवालियापन और दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के सुझावों से कर्ज की वसूली का समय कम होगा और बैंकों को ज्यादा पैसा वापस मिलेगा। हालांकि यह सुधार फिलहाल रियल एस्टेट सेक्टर पर लागू नहीं होंगे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र में अभी भी कई दिवालिया मामले चल रहे हैं, लेकिन इस सेक्टर के लिए अलग से कोई बड़ा सुधार प्रस्तावित नहीं किया गया है।
आईसीआरए का कहना है कि घर खरीदने वालों की सुरक्षा और अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए रियल एस्टेट सेक्टर में अलग से सुधार जरूरी हैं।
आईबीसी कानून को अक्टूबर 2025 में 9 साल पूरे हो गए। इस दौरान इस कानून के जरिए करीब 4 लाख करोड़ रुपए की वसूली की गई है, जो अन्य तरीकों से बेहतर है। सितंबर 2025 तक 8,658 कंपनियों के मामले आईबीसी में आए, जिनमें से 63 प्रतिशत मामलों का निपटारा हो चुका है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बैंकों को कई मामलों में भारी नुकसान उठाना पड़ा और उन्हें केवल करीब 32 प्रतिशत राशि ही वापस मिल पाई। इसी वजह से आईबीसी में बड़े बदलाव की जरूरत महसूस हुई और अगस्त 2025 में 7वां संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया।
आईसीआरए की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मनुश्री सागर ने कहा कि मार्च 2025 तक कर्ज वसूली में सुधार हुआ था, लेकिन 2026 की पहली छमाही में फिर गिरावट आई। उन्होंने बताया कि सितंबर 2025 तक चल रहे लगभग 75 प्रतिशत मामलों में 270 दिनों से ज्यादा समय लग चुका है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एनसीएलटी में अभी 30,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं। मौजूदा क्षमता के हिसाब से इन मामलों को निपटाने में 10 साल से ज्यादा समय लग सकता है।
हालांकि, सरकार एनसीएलटी और एनसीएलएटी की बेंच बढ़ाने की योजना बना रही है, जिससे मामलों के निपटारे में तेजी आ सकती है। फिलहाल, आईबीसी के तहत मामलों को सुलझाने में औसतन 700 दिन लग रहे हैं, जबकि तय समय सीमा सिर्फ 330 दिन है।
--आईएएनएस
डीबीपी/एबीएस
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