पाकिस्तान : अल्पसंख्यकों की स्थिति बदहाल, मानवाधिकार संस्था ने जबरन धर्मांतरण और हिंसा को लेकर जताई चिंता

पाकिस्तान : अल्पसंख्यकों की स्थिति बदहाल, मानवाधिकार संस्था ने जबरन धर्मांतरण और हिंसा को लेकर जताई चिंता

पाकिस्तान : अल्पसंख्यकों की स्थिति बदहाल, मानवाधिकार संस्था ने जबरन धर्मांतरण और हिंसा को लेकर जताई चिंता

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IANS
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Human rights body flags surge in violence, forced conversions of minorities in Pakistan

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

इस्लामाबाद, 20 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि को लेकर चिंता जाहिर की है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने अहमदिया समुदाय के लोगों की टारगेट किलिंग, पंजाब तथा सिंध प्रांतों में हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्मांतरण, साथ ही कम उम्र में विवाह के मामलों को भी उजागर किया है।

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मानवाधिकार आयोग ने मंगलवार को आयोजित एक सेमिनार में रिपोर्ट सड़कों पर डर: 2024/25 में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता को जारी किया। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए बीते साल को बहुत ही चिंताजनक बताया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है। अहमदिया समुदाय के लोगों की टारगेट किलिंग हुई है। एक घटना में पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर के एक व्यस्त बाजार में भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद एक व्यक्ति को भीड़ ने मार डाला। पूजा स्थलों को आंशिक या पूर्ण रूप से कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा ध्वस्त किया गया, भले ही कुछ को उच्च न्यायालय के आदेश से संरक्षण प्राप्त था। देश भर से कब्रों के अपमान की कई घटनाएं भी सामने आई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसाई और हिंदू अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ताओं ने पंजाब और सिंध में युवा लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के मुद्दे को बार-बार उठाया है। कई मामलों में जिन लड़कियों का कथित तौर पर अपहरण किया गया या उन्हें घर छोड़ने के लिए लालच दिया गया, उनकी उम्र 18 वर्ष से कम थी, जो संघीय और प्रांतीय विवाह की न्यूनतम आयु आवश्यकताओं का स्पष्ट उल्लंघन है।

इसमें आगे कहा गया है कि कुछ मामलों में लड़कियों को अपहरण के बाद इस्लाम में परिवर्तन और फिर विवाह के लिए मजबूर करने का स्पष्ट पैटर्न देखा गया है।

रिपोर्ट में मानवाधिकार संस्था ने जिक्र किया है कि 2024-25 के दौरान गैर-मुस्लिम नाबालिग लड़कियों के लापता होने और फिर कुछ दिनों बाद इस्लाम में परिवर्तित होकर मुस्लिम पुरुषों से विवाह करने की खबरें लगातार सामने आती रही हैं। इसमें कहा गया है कि सिंध में हिंदू, जो प्रांत की 8.8 प्रतिशत आबादी का हिस्सा हैं, और पंजाब में ईसाई, जो 1.9 प्रतिशत हैं, ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नफरत भरे भाषणों में वृद्धि हुई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक अहमदिया व्यक्ति को जमानत देने पर मौत की धमकियां दी गईं। एक निर्वाचित सीनेटर को धार्मिक अल्पसंख्यकों के पक्ष में बोलने पर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और कुछ दक्षिणपंथी सोशल मीडिया चैनलों ने उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए।

एचआरसीपी ने देश की बार एसोसिएशनों के कट्टरपंथी धार्मिक समूहों के साथ गठजोड़ की ओर बढ़ते रुझान पर चिंता जताई। उन्होंने इसे कानूनी पेशे की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया। साथ ही, सैकड़ों युवाओं को ईशनिंदा के आरोपों में फंसाने और उनसे उगाही के मामलों में राज्य संस्थानों की मिलीभगत के आरोपों का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है।

एचआरसीपी ने अपनी पिछली सिफारिशों को दोहराते हुए पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक स्वतंत्र वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करे, जिसमें सभी धार्मिक समुदायों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो।

--आईएएनएस

एफएम/

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